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फांसी या राजनीति–आज दिवाली है….

kaduvi-batain
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अभी इन्टरनेट के माध्यम से पता चला की सुबह साडे सात बजे अजमल कसाब को फांसी दे दी गयी. अत्यंत सकारात्मक कदम सरकार व राष्ट्रपति जी द्वारा लिया गया. ये एक कठोर सन्देश है उन तमाम आताताइयों के लिए जो भारत भूमि को नापाक करने को कोशिश में रहते हैं. कसाब को दी गयी फांसी २६/११ के उन सभी शभी शहीदों व पीड़ितों के लिए एक सच्ची श्रद्धांजलि है..

अब बात करते हैं राजनीति की…कांग्रेस से बड़ा शातिर खिलाडी मैंने कोई नहीं देखा..जिस कसाब को बचाने के लिए इस सरकार ने अनेकों उपाय किये, उसकी उत्तम व्यवस्था में दिन रात लगे रहे और फिर अचानक गोपनीय तरीके से रात में दया याचिका खारिज करना और अगली सुबह फांसी पे लटका देना, एक राजनीतिक चाल नहीं तो और क्या. में फिर कह रहा हूँ की ये निर्णय अत्यंत उत्तम है..स्वार्थपरक होते हुए भी देश के लिए हितकारी है.किन्तु कांग्रेस से अच्छी सांप्रदायिक चाल कोई और नहीं खेल सकता.
यदि वास्तव में वर्तमान सरकार (कांग्रेस) का ये कदम राजनितिक नहीं वरन देशहित में लिया गया है तो सरकार बिना देर किया यही कदम अफजल गुरु के लिए उठाये..उसकी भी दया याचिका इसी तरह शीघ्र गोपनीय तरीके से खारिज कर उसे फांसी दे दी जाये.
क्या धर्मं और राजनीती के आगे जिन्दगी छोटी है? कसाब जैसे न जाने कितने लोगों को धर्म( तथाकथित जेहाद) के नाम पे दूसरों की जान से खेलते हुए अपने जीवन को दांव पर लगा देना कैसे उचित है. और फिर कसाब जैसे क्रूर दरिन्दे के साथ मेहमानों जैसा सलूक? विचारणीय है…

पुनश्च: समस्त देशवासियों को, सच्चे हिन्दुस्तानियों को एवं वर्तमान सरकार को असत्य पर सत्य की जीत के लिए हार्दिक बधाई ….. असल में दीपावली तो आज है…..

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