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Tasty Food Recipe-खाना लाजावाब

खाना-खजाना
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Tasty Food Recipesआमतौर पर इंडियन थाली संतुलित आहार का संपूर्ण पैकेज मानी जाती है। हमारे लंच या डिनर में प्राय: रोटी, दाल-चावल, सब्जियां, सैलेड और रायता जैसी चीजें शामिल होती हैं। इसी तरह सुबह के नाश्ते में सैंडविच, पास्ता, नूडल्स, अंडा, परांठा, उपमा, पोहा, इडली, उत्तपम, स्प्राउट्स, जूस और फ्रूट सैलड आदि शामिल होते हैं। बेशक ये सारी चीजें आप खुद बनाने में माहिर होंगी, लेकिन क्या आपको इन्हें तैयार करने का सही तरीका मालूम है? आइए जानते हैं कि कुकिंग का सही स्टाइल क्या हो?


पास्ता, नूडल्स या मैकरॉनी : बच्चों की पसंद की वजह से अकसर घरों में नाश्ते के समय इनका इस्तेमाल होता है। अच्छी सेहत के लिए मल्टीग्रेन या होल व्हीट पास्ता, नूडल्स या सूजी की मैकरॉनी का इस्तेमाल करें। बाजार में मिलने वाले सेमी कुक्ड नूडल्स का इस्तेमाल न करें क्योंकि इनके जल्दी खराब होने का डर रहता है। ऐसे चीजें हमेशा घर में उबालें। अकसर लोग नूडल्स या पास्ता को थोडा कम उबालते हैं, ताकि ये देखने में सुंदर लगें, पर यह सेहत के लिए नुकसानदेह हो सकता है। इन्हें उबालने का सही तरीका यह है कि पानी में एक टेबल स्पून रिफाइंड ऑयल, एक टी स्पून नमक और एक टी स्पून विनेगर डालकर इन्हें अच्छी तरह पकाएं और छलनी में छानकर ठंडे पानी से धो लें। इससे ये चीजें आपस में नहीं चिपकेंगी।

हेल्दी टिप : इन चीजों की पौष्टिकता बढाने के लिए इनमें ढेर सारी हरी सब्जियां मिलाएं।


अंडा : यह प्रोटीन का बेहतर स्रोत है। इसे उबाल कर खाना सबसे अच्छा रहता है। वैसे इसका वाटर पोच भी तैयार किया जा सकता है। इसके लिए सबसे पहले एक गहरे बर्तन में पानी उबलने के लिए रखें। फिर एक नॉनस्टिक कडछी के भीतरी हिस्से में जरा सा कुकिंग ऑयल लगा कर उसमें अंडा तोडकर डालें, उसके ऊपर नमक और काली मिर्च पाउडर छिडक कर, कडछी को बर्तन में इस तरह रखें कि वह पानी में पूरी तरह न डूबे। पांच मिनट के बाद जब अंडा पक जाए तो इसे लो फैट क्रीम और टोस्ट के साथ सर्व करें।

हेल्दी टिप: अंडे की जर्दी मे बहुत अधिक मात्रा में एलडीएल कोलेस्ट्रॉल पाया जाता है, जो हार्ट के लिए बहुत नुकसानदेह साबित होता है। इसलिए ओवर वेट या हृदय रोग से पीडित लोगों को केवल अंडे का सफेद हिस्सा ही खाना चाहिए।


परांठे : इसके लिए हमेशा नर्म आटा गूंधें। चाहें तो उसमें एक टी स्पून रिफाइंड ऑयल का मोयन भी मिला सकती हैं। हरी सब्जियों का स्टफ्ड परांठा पूरे परिवार की सेहत के लिए अच्छा रहता है। इसके लिए आप मौसम के अनुकूल सब्जियों का चुनाव कर सकती हैं।

हेल्दी टिप: अगर बच्चे सब्जियों वाला स्टफ्ड परांठा नहीं खाते तो इस समस्या से बचने के लिए हरी सब्जियों को उबालकर पेस्ट बना लें और उसी से आटा गूंध कर परांठे बनाएं।


स्प्राउट्स : यह प्रोटीन और विटमिन सी का संतुलित मिश्रण है। आजकल बाजार में पैकेटबंद स्प्राउट्स भी मिलते हैं, पर सेहत की दृष्टि से इन्हें सुरक्षित नहीं माना जा सकता। इसलिए बेहतर यही होगा कि आप घर में खुद स्प्राउट्स तैयार करें। इसके लिए 12 घंटे तक चना, साबुत मूंग आदि भिगो दें। फिर उसका पानी निकाल कर किसी छलनी पर रख कर ढक कर रख दें, अगले आठ घंटे के बाद उसमें अंकुर निकल आएंगे। स्प्राउट्स उतनी ही मात्रा में तैयार करें कि 12 घंटे में खत्म हो जाए। कच्चा अंकुरित अनाज खाने से कुछ लोगों को गैस की समस्या हो जाती है। इसलिए बेहतर यही होगा कि स्प्राउट्स को हलका स्टीम करके खाया जाए।

हेल्दी टिप : अगर आपको डायबिटीज है तो स्प्राउट्स के लिए चना या मूंग भिगोते समय आप उसी में मुट्ठी भर मेथी के दाने भी मिला दें। इससे आपका शुगर लेवल नियंत्रित रहेगा।


रोटी : अगर आप पैकेटबंद आटा खरीदती हैं तो उसके पैकेट पर लिखा विवरण ध्यान से पढें। अगर उसमें चोकर की मात्रा कम है तो आटे में चोकर, सोयाबीन, बाजरे या चने का आटा स्वादानुसार मिलाएं। आटा गूंधने के बाद उसे दस मिनट तक ढककर रखें, इससे रोटियां नर्म और फूली-फूली बनेंगी। अगर घर में लोगों को मिश्रित आटे का स्वाद पसंद नहीं आता तो सप्ताह में एक दिन आटे में बेसन, प्याज, हरा धनिया, नमक और अजवाइन मिलाकर मिस्सी रोटी बना लें।

हेल्दी टिप : रोटी बनाने के लिए हमेशा चोकरयुक्त आटे का इस्तेमाल करें। इससे पाचनतंत्र दुरुस्त रहेगा।


चावल : चावल के बारे में लोगों में बहुत भ्रम है कि उबालकरपानी निकाल देने से उसका सारा स्टार्च निकल जाता है। ऐसा करने से चावल का सिर्फ एक या दो प्रतिशत स्टार्च निकल पाता है। इसलिए यह आपकी पसंद पर निर्भर है कि आपको चावल कैसे पकाना है? चावल खाते समय केवल यह ध्यान रखें कि इसके साथ हरी सब्जियों का सेवन अधिक मात्रा में करें। क्योंकि सब्जियों में पाया जाने वाला फाइबर चावल में मौजूद कार्बोहाइड्रेट और स्टार्च को आसानी से पचाने में सहायक होता है।

हेल्दी टिप : ब्राउन राइस में फाइबर की मात्रा ज्यादा होती है। इसलिए यह सेहत के लिए बहुत फायदेमंद साबित होता है।


इडली : आम तौर पर स्त्रियां समय बचाने के लिए बाजार में बिकने वाली इंस्टैंट इडली मिक्स का इस्तेमाल करती हैं, लेकिन इसमें मौजूद प्रिजर्वेटिव सेहत के लिए नुकसानदेह होते हैं। इसलिए इडली हमेशा घर में ही बनाएं। अगर आपके पास समय कम हो तो सूजी में दही या ईनो पाउडर मिलाकर आप घर में ही इंस्टैंट इडली तैयार कर सकती हैं। अगर आप कैलरी कॉन्शस हैं तो आपके लिए राइस के बजाय रवा इडली ज्यादा अच्छी रहेगी।

हेल्दी टिप : अकसर लोग सांबर के बजाय नारियल की चटनी के साथ इडली खाते हैं, पर चटनी में सांबर की तुलना में ज्यादा कैलरी होती है। इसलिए इडली के साथ सांबर जरूर बनाएं।


सब्जियां और फल : हमें सिर्फ मौसम में मिलने वाली सब्जियां ही खानी चाहिए। जहां तक संभव हो सब्जियां और फल छिलके सहित खाने की कोशिश करें, क्योंकि इनमें मौजूद फाइबर कब्ज दूर करने में सहायक होता है। हालांकि आजकल सब्जियों पर कई तरह की हानिकारक कीटनाशक दवाओं का छिडकाव होता है। इसलिए काटने से पहले उन्हें गर्म पानी में पांच मिनट तक डुबो कर अच्छी तरह धो लें, क्योंकि सब्जियां काटकर धोने से उनमें मौजूद विटमिंस नष्ट हो जाते हैं। हरी सब्जियों को बहुत ज्यादा देर तक न पकाएं क्योंकि इससे उनमें मौजूद मिनरल्स नष्ट हो जाते हैं, लेकिन गाजर को ज्यादा देर तक पकाना चाहिए क्योंकि देर तक पकने से इसमें मौजूद पौष्टिक तत्व लाइकोपिन की मात्रा बढ जाती है। उबले या बेक्ड आलू खाना सेहत के लिए ज्यादा फायदेमंद साबित होता है। फ्रेंच फ्राई या आलू टिक्की जैसी चीजों में कार्बोहाइड्रेट के साथ वसा का मिश्रण सेहत के लिए नुकसानदेह साबित होता है।

हेल्दी टिप : सब्जियों और फलों के रंगों में एंटी ऑक्सीडेंट तत्व पाए जाते हैं, जो हमारे शरीर को बीमारियों से लडने की ताकत देते हैं। इसलिए हमेशा अपने भोजन में हर रंग की सब्जियों और फलों को शामिल करने की कोशिश करें।


दालें : हर तरह की दाल में मौजूद सभी पौष्टिक तत्व आपको समान रूप से मिल सकें, इसके लिए आप रोजाना अलग तरह की दालों का इस्तेमाल करें या चना, मूंग, उडद और मसूर की दालों को समान मात्रा में मिलाकर मिश्रित दाल भी तैयार कर सकती हैं। छौंक लगाते समय सीमित मात्रा में देसी घी का इस्तेमाल करें। दालों में मौजूद प्रोटीन की वजह से कुछ लोगों को इनके सेवन के बाद पेट में भारीपन महसूस होता है। अगर ऐसी समस्या हो तो डिनर के बजाय लंच में साथ दाल का सेवन करें।

हेल्दी टिप : छिलके वाली दालों में फाइबर की मात्रा ज्यादा होती है। इसलिए धुली दालों के बजाय छिलके वाली दालें जैसे-काली मसूर, काली उडद और हरी मूंग की दाल का सेवन करें।


चिकेन, रेड मीट और फिश : इन तीनों चीजों को रोस्ट या स्टीम करके खाना सेहत के लिए ज्यादा फायदेमंद साबित होगा। अगर आप इन चीजों को ग्रेवी के साथ पकाती हैं तो इस बात का ध्यान रखें कि तेल और मिर्च की मात्रा सीमित हो। बर्ड फ्लू के इन्फेक्शन से बचने के लिए चिकेन को 100 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर पांच मिनट तक उबालने के बाद ही इस्तेमाल में लाना चाहिए।

हेल्दी टिप : अगर आपकी उम्र 40 वर्ष से ज्यादा है और आपको हाई कोलेस्ट्रॉल की समस्या है तो रेड मीट के सेवन से बचें।


सैलेड : सैलेड बनाने के लिए आप खीरा, ककडी, टमाटर, गाजर, मूली, प्याज, बंदगोभी और लेट्यूस के पत्तों का इस्तेमाल कर सकती हैं। कुछ स्त्रियां समय बचाने के लिए खाना तैयार होने से पहले ही सैलेड काट कर रख देती हैं, इससे सैलेड का स्वाद और पौष्टिक तत्व दोनों नष्ट हो जाते हैं। इसलिए टेबल पर खाना लगाने के दस मिनट पहले सैलेड तैयार करें। सैलेड काटने से तुरंत पहले सब्जियां फ्रिज से निकालें। इससे सैलेड क्रिस्पी बनेगा और उसे काटना भी आसान होगा। ड्रेसिंग के लिए ऑलिव ऑयल या व्हाइट क्रीम के बजाय नीबू, ऑरिगेनो, बेसिल और हंग कर्ड जैसी चीजों का इस्तेमाल करें क्योंकि ऑलिव ऑयल और व्हाइट क्रीम में कैलरी ज्यादा होती है। अकसर एक प्लेट सैलेड में चार-पांच लोग शेयर करते हैं, लेकिन इससे कोई फायदा नहीं होता। घर में हर व्यक्ति के लिएअलग से एक बोल सैलेड की सर्विग होनी चाहिए।

हेल्दी टिप : सैलेड हमेशा मेनकोर्स से पहले लेना चाहिए। इसमें मौजूद फाइबर बढते वजन को नियंत्रित रखता है।


मैं घर पर ही पनीर बनाना चाहती हूं। इसका सही तरीका क्या है?

संगीता सिंह, रुडकी

घर पर पनीर बनाने के लिए एकखुले बर्तन में दूध उबलने के लिए रखें। दो-तीन नीबुओं का रस निचोड कर उसे छलनी से छान लें और उसे खौलते हुए दूध में डालें और इसे दो मिनट तक उबलने दें। जब दूध अच्छी तरह फट जाए तो उसे सफेद मलमल के कपडे से छान कर उसकी पोटली बांध कर किसी ऐसी जगह पर टांग दें कि इसका सारा अतिरिक्त पानी निकल जाए। फिर इसे किचन के प्लैटफॉर्म पर रखें और किसी भारी चीज से दबाकर आधे घंटे तक छोड दें। जब पनीर सेट हो जाए तो इसे फ्रिज में रख दें।


हमारा संयुक्त परिवार है और घर में मेहमान भी बहुत आते हैं। इसलिए हमारे यहां अकसर डीप फ्राइड स्नैक्स बनते हैं। इससे कडाही में बहुत ज्यादा कुकिंग ऑयल बच जाता है, जिसका हम दोबारा इस्तेमाल करते हैं। पर मैंने कहीं सुना था कि यह सेहत के लिए नुकसानदेह है। मैं जानना चाहती हूं कि क्या यह सच है?

कविता शर्मा, लखनऊ

किसी भी कुकिंग ऑयल का एक खास स्मोकिंग प्वाइंट होता है अर्थात एक खास तापमान, जिस पर गर्म करने के बाद कडाही के तेल से धुआं निकलना शुरू हो जाता है, तब उसमें चीजें डीप फ्राई की जाती हैं। ऐसे तेल को कडाही में दोबारा गर्म करने पर तेल में कार्बन मोनोऑक्साइड गैस जन्म लेता है, जो हार्ट और लिवर के लिए नुकसानदेह साबित होता है। इसलिए इस तेल या घी का इस्तेमाल चीजों को दोबारा तलने के लिए न करें, लेकिन सब्जी बनाने या परांठे सेंकने के लिए इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।


हमें रोजमर्रा के खाने में किन मसालों का इस्तेमाल करना चाहिए?

संजना गर्ग, देहरादून

मसालों में लाल मिर्च और नमक का इस्तेमाल सीमित मात्रा में करना चाहिए। हल्दी में एंटीयोबायोटिक गुण पाए जाते हैं। इसलिए पारंपरिक रूप से हमारी रसोई में हल्दी का इस्तेमाल लगभग हर सब्जी के लिए किया जाता है। हींग, जीरा, मेथी, अजवाइन और सौंफ जैसे मसाले हमारे पाचन तंत्र को दुरुस्त रखते हैं, इसलिए हरी सब्जियों के छौंक में इनका इस्तेमाल फायदेमंद साबित होता है। इसी तरह धनिया पाउडर की तासीर ठंडी होती है। इसलिए ग्रेवी वाली सब्जियों में इसका इस्तेमाल करने से यह लाल मिर्च के असर को कम कर देता है।


जब मैं भिंडी की सब्जी बनाती हूं तो उसके टुकडे आपस में चिपक जाते हैं और उसकी रंगत भी अच्छी नहीं लगती। इसे बनाने का सही तरीका क्या है?

वंदना चौधरी, भोपाल

भिंडी को धोकर पहले इसे साफ कपडे से पोंछ कर अच्छी तरह सुखा लें। फिर इसे मनचाहे आकार में काटकर नॉनस्टिक कडाही में अंदाज से बहुत थोडा सा कुकिंग ऑयल डालें और तेल गरम होने पर कटी भिंडी छौंक दें। पकाते समय कडाही का ढक्कन खुला रखें और बीच-बीच में उसे चलाती रहें। जब यह पक जाए तो स्वादानुसार नमक और मिर्च पाउडर डालकर आंच बंद कर दें। इससे भिंडी का स्वाभाविक रंग बरकरार रहेगा और इसके टुकडे आपस में नहीं चिपकेंगे।


हम लोग वेजटेरियन हैं। मैंने सुना है कि शाकाहारी लोगों को प्रोटीन का पर्याप्त पोषण नहीं मिल पाता। क्या यह सच है?

श्वेता मिश्रा, पटना

यह बात कुछ हद तक सच है क्योंकि शाकाहारी लोगों के भोजन में प्रोटीन के साधन सीमित हो जाते हैं। खास तौर से बढते बच्चों को प्रोटीन की ज्यादा जरूरत होती है। इसलिए शाकाहारी परिवारों के बच्चों को दिन में दो ग्लास दूध जरूर देना चाहिए। लंच या डिनर में पनीर और सोयाबीन ग्रेन्यूअल्स को जरूर शामिल करें। शाकाहारी लोगों को प्रतिदिन के भोजन में दाल जरूर शामिल करनी चाहिए। इसके अलावा मूंग की दाल का चीला या ढोकला जैसी चीजों के माध्यम से प्रोटीन की कमी पूरी करने की कोशिश करनी चाहिए।


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