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शिक्षक की बदलती परिभाषा !

प्रखर वार्ष्णेय
प्रखर वार्ष्णेय
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हर साल 5 सितम्बर के दिन शिक्षक दिवस मनाया जाता हैं और हर कोई अपने अपने अध्यापक को सम्मान देता है। पर आज के दौर में कहीं न कहीं अध्यापक या विध्याल में बच्चो के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है। आज के अध्यापक पहले की तरह नहीं रहे, पहले अध्यापक सोचते थे की वो अपने विद्यार्थीओ को बहुत आगे तक जाते हुए है देखना चाहते थे पर आज के समय में कोई जब अध्यापक की जॉब को शुरू करता है तो बो सिर्फ पैसो के लिए ही करता है यह ख़ास कर सरकारी स्कूलों में होता है जहाँ उन्हें सिर्फ बैठने की तनखा मिलती है। इसी के चलते कुछ दिनों पहले ही इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा लिए एक फैसले के मुताबिक अब सभी सरकारी कर्मचारियों, विधायकों और सांसदों के बच्चे सरकारी स्कूलों में ही पढ़ेंगे। आशा करते है की यह फैसला कुछ बदलाव लाएगा पर देखना ये होगा की इस पर कब से अमल होता है।

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