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!! घुटती हिन्दुस्तानियत … माँग रही बलि !!

ikshit
ikshit
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हम मर रहे हैं
वो बयान दर्ज कर रहे हैं!
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वो गद्दी के लिए
चुनाव में आपस में झगड़ रहे हैं
हम उनकी जिंदगी की रखवाली के लिए
अपनी साँसों से जंग लड़ रहे हैं!
वाह-वाह… वाह-वाह…
देशभक्ति के समीकरणों का आलम… ….
विदेशी हमारी राजनीति पर
अपने इरादे गढ़ रहे हैं
और देश के सैनिक
मौत के मानकों पर
ज़िम्मेदारी के छलावे तले
कत्ल होने की वजह से
समझौता कर रहे हैं!
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आख़िर झोंक क्यों नहीं देते
उनकी कब्र खोदने में
हर साल हादसों की भेंट चढ़ जाता
ये ढेर असलहा-बारूद?
हाथों में ठुन्स गयी हैं
कायरता खनखनाती चूड़ियाँ ये
या वोट-बॅंक की घिनौनी सोच ने
आवाम की आम जान से कर बेपरवाह
सरकारी हुक्मरानों को
कर दिया है उनकी अकल से नेस्तनाबूद.
वो
पूरी इंसानियत की गर्दन मरोड़ सकते हैं
हम
चंद इंसानों से बैर कर सकते नहीं
वो
मासूमों की बलि लगातार चढ़ाते रहें
हम
उनको जवाब देने से भी डरें
कि कहीं ग़लती से ही
जान न ले लें चंद निर्दोषों की…
लोग तो मर ही रहे हैं
कोई गिनती
दोषी
या निर्दोष की नहीं!
फिर क्यों
एक निर्दोष को बचाने की कीमत पर
बलि इस हमारे हिन्दुस्तान की?
क्यों भला
ये बलि
घुट-घुट भी
मुश्किल से जी पा रही हिन्दुस्तानियत की?
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अब चमकेगी
वो जो तलवार पुरानी थी
सत्ता की
रखवाली की कीमत पर
देनी होगी बलि
हर उस सोच की
जो कल तक ‘हमारी’ बेचारी थी.
अब हम
झोंकेंगे ये जान जी-तोड़
जिसकी गाथा
गीता-रामायण से
दुनिया ने जानी थी.
हम जियेंगे अब उस हिन्दुस्तान में
पूरी दुनिया
हमेशा से
जिस हिन्दुस्तान की कहानियों पर दीवानी थी.
फड़कती भुजाएँ
हैं बिल्कुल तैयार
और हम लिखेंगे कहानी
अपनी जान लेने वालों की
जान लेने की कुर्बानी की.
जय जवान !
जय हिन्दुस्तान !!!

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