ikshit
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!! चोट से न मारो दोस्तों !!
शरीफ जी
शराफ़त ना दिखाएँ,
सफेद बालों वाले
कुछ दढ़ियल बोल रहे हैं
वो निमंत्रण पर
भारत न आएँ !
किसलिए खुला रहने दिया है
ऐसे दोस्ती के दुश्मनों का मुँह आज तक
एटमी ताक़त
उनके गालों में ठूंस कर
क्यों न हम आजमाएँ?
ये गोली-बारूद-असलहा
किस दिन का अचार डालने के लिए
बंकरों में पाट रखा है?
बँटवारे के गुज़रे कल को
अपने स्वार्थ के लिहाज से
हर बात पर फूँक देने वाले
वो दिन जल्द ही ला देंगे
जब हम डालेंगे खुद का अचार
उन्होने तो जात के अलाव पर
हिंदू-मुसलमान के अंगारों की नींव को
क़ौम-क़ौम कह कर पाल रखा है.
काट डालो
इन सारे
भड़काने वालों का गला
और झोंक दो सारा बारूद
उनकी रूह तक को जला देने के लिए…
नहीं तो इंसान का क्या है?
वो आज भी
बार-बार
हिंदू-मुसलमान कह कर
खुद मर रहा है !!!
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