awaaz
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नारी तेरी दास्तान कैसी,
जब जिंदा है तू लाश जैसी.
तू मंदिर की देवी कैसी,
जब मानी जाये तू जूती जैसी.
तू घर की इज्ज़त कैसी,
जब बाज़ार में बिचे तू सामान जैसी.
तू घर की लक्ष्मी कैसी,
जब जन्म से हो तू बोझ जैसी.
तू सृष्टी की सर्जनकर्ता कैसी,
जब पैदा हो तू अनचाही जैसी.
नारी तेरी दास्तान कैसी,
जब जिंदा है तू लाश जैसी.
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