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अगर बेवफ़ा तुझ को पहचान जाते, खुदा की कसम हम मोहब्बत ना करते, जो मालूम होता ये अंज़ाम-ए-उल्फ़त तो दिल को लगाने की जुर्रत ना करते….. फिल्म ‘रात के अंधेरे में’ का यह गीत है जिसके गीतकार और संगीतकार प्रेम धवन और गायक रफी साहब हैं.
इस बात में कोई शंका नहीं कि इस गीत के बोल काफी बेहतरीन हैं पर इस गीत की आत्मा मोहम्मद रफी की आवाज है. केवल यही गीत नहीं मोहम्मद रफी साहब ने जिस किसी गीत को अपनी आवाज दी उस गीत को भुला पाना असंभव सा हो गया इसलिए शायद आज भी लोग मोहम्मद रफी के गाए हुए गीतों को याद किया करते हैं.
24 दिसंबर को मोहम्मद रफी का जन्मदिन है इसलिए उनके जन्म स्थान से जुड़ी बातों से लेकर, महज 13 साल की उम्र में उनका सार्वजनिक मंच पर गाने की शुरुआत करना, 13-14 भाषाओं का ज्ञान होना, लता मंगेशकरसे मोहम्मद रफी की लड़ाई और अंत में जाकर मोहम्मद रफी के मृत्यु दिन 31 जुलाई साल 1980 को याद किया जाएगा.
मोहम्मद रफी को याद करते समय इन तमाम बातों का जिक्र जरूर किया जाएगा पर उनको याद करने का कारण यह बातें नहीं बल्कि उनकी दर्द भरी गायिकी है. मोहम्मद रफी द्वारा गाए गए किसी भी गीत की आवाज जैसे ही कानों में सुनाई पड़ती वैसे ही व्यक्ति दो पल के लिए ठहर जाता है और आंखों को बंद कर उस गीत के साथ स्वयं भी गुनगुनाने लगता है.
• तुम मुझे यूं भुला न पाओगे… (फिल्म- पगला कहीं का)
• आदमी मुसाफिंर है…(फिल्म- अपनापन)
• बहारों फूल बरसाओ मेरा महबूब आया है…(फिल्म- सूरज)
• क्या हुआ तेरा वादा…(फिल्म- हम किसी से कम नहीं)
• चलो दिलदार चलो चांद के पार…(फिल्म- पाकीजा)
• तेरे घर के सामने….(फिल्म- तेरे घर के सामने)
• तेरी बिंदिया रे….(फिल्म- अभिमान)
• मन मोरा बावरा…(फिल्म- रागिनी)
• मैं जिंदगी का साथ निभाता चला गया…(फिल्म- हम दोनों)
mohammad rafi singing style
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