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दुनिया की भीड़ में सुकून देती यह प्रेम कहानी (पार्ट-2)

Indian Cinema
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आज कल की प्रेम कहानियों में रफ्तार है पर जब आपको कोई ऐसी प्रेम कहानी देखने को मिले जिसमें रफ्तार भले ही ना हो पर ‘प्रेम’ को बहुत अच्छे तरीके से समझाया गया हो तो शायद आपको ऐसी प्रेम कहानी से प्यार हो जाए. ‘दुनिया की भीड़ में सुकून देती यह प्रेम कहानी’ पार्ट-1 में फिल्म ‘द लंच बॉक्स’ की फिल्म समीक्षा की गई पर पार्ट-2 में बॉलीवुड के हिन्दी सिनेमा की तरफ बढ़ते कदम की परिभाषा को समझाया जाएगा.


इसी लेख का पार्ट-1 पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें


lunch box movieफिल्म ‘द लंच बॉक्स’ में साजन फर्नांडिस (इरफान खान) और इला (निमरत कौर) की सरल सी प्रेम कहानी को दिखाया गया है पर जिस अंदाज में दिखाया गया है उसकी तारीफ शब्दों में कर पाना थोड़ा कठिन है. आजकल बॉलीवुड की फिल्मों में तेज रफ्तार और आइटम नंबर को फिल्म की कहानी का आधार बनाकर दिखाया जाता है जिस कारण फिल्म बॉक्स ऑफिस पर अच्छी-खासी कमाई कर लेती है पर यदि उन फिल्मों की समीक्षा की जाए तो कई स्तरों पर निम्न पाई जाती हैं.

ऐसे बनती हैं फिल्में सौ करोड़ी


यह बात समझ से परे हो जाती है कि दर्शक किस चीज से आकर्षित होकर बॉलीवुड की तेज रफ्तार फिल्मों को सिनेमाघरों में देखने जाते हैं. क्या इसलिए कि उन फिल्मों में सुपरस्टार के नाम होते है ? क्या फिर इसलिए कि उन फिल्मों में मजेदार आइटम नंबर होते हैं ? या फिर इसलिए कि बोल्ड सीन से भरी हुई होती हैं ऐसी फिल्में.


फिल्म ‘द लंच बॉक्स’ को देखकर हिन्दी सिनेमा के उस दौर में वापस लौट जाने का मन करता है जहां फिल्मों में रोमांस को भी सुन्दर ढंग से दिखाया जाता था. फिल्म ‘द लंच बॉक्स’ में ऐसी एक भी खास बात नहीं है जिससे आकर्षित कोई दर्शक सिनेमाघरों में इस फिल्म को देखने जाए पर सच यह है कि आकर्षक ना होते हुए भी यह फिल्म एक फिल्म समीक्षक के नजरिए से बॉक़्स ऑफिस पर करोड़ो की कमाई करने वाली फिल्मों से काफी बेहतर है. ऐसे दर्शक जो आज भी बॉलीवुड में ऐसी फिल्मों की तलाश करते हैं जिन्हें देखने के बाद सुकून का अनुभव हो तो फिल्म ‘द लंच बॉक्स’ कुछ ऐसे ही दर्शकों के लिए है.


हिन्दी सिनेमा ने जब अपने कदम बॉलीवुड की तरफ बढ़ाए तो इस बात का अनुभव हो गया था कि अब जल्दी ही बॉलीवुड कुछ-कुछ हॉलीवुड जैसा दिखने लगेगा. ऐसा हुआ भी. आज के बॉलीवुड की फिल्मों में हॉलीवुड की झलक मिलती है इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है पर जब कुछ बेहतर स्तर की फिल्में बॉलीवुड में नजर आती हैं तो इस बात का एहसास होता है कि बॉलीवुड आज भी हिन्दी सिनेमा से जुड़ा हुआ है.

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जीवनसाथी तो नहीं पर हमसफर के रूप में साथ देते हैं !!

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