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संगीत की कीमत नहीं होती !!

Indian Cinema
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पहले के समय में जब राजा-महराजा किसी गायक की गायिकी से खुश हुआ करते थे तो बदले में उसे उपहार के रूप में सोने-चांदी के आभूषण दिया करते थे पर एक सच्चा गायक अपनी गायिकी की कीमत नहीं लिया करता था. समय बदला जरूरत के अनुसार लोग अपनी कला की कीमत वसूल करने लगे. यह तमाम बातें हम आपका दिल बहलाने के लिए नहीं कर रहे हैं. हाल ही में जब हिन्दी सिनेमा के मशहूर गायक सोनू निगम ने अपनी गायिकी के लिए रॉयल्टी की मांग की तो ऐसे में गायिकी के इतिहास का जिक्र होना लाजमी था.


शेखर सुमन की फिल्म ‘हार्टलेस’ के संगीत के अधिकार को टी सीरीज के भूषण कुमार ने खरीदा है. वह चाहते थे कि इस फिल्म के संगीत के रिलीज होने से पहले सोनू निगम और सुनिधि चौहान, जिन्होंने इस फिल्म के लिए गीत गाए हैं, वे गायक तथा गायिका उनके द्वारा बनाए गए एग्रीमेंट पर दस्तखत करें अन्यथा वे दूसरे गायकों को इन गीतों को गाने का मौका देंगे.


गीतकार, संगीतकार, और गायक इनको रॉयल्टी के अधिकार की मांग आज की नहीं है बल्कि साठ के दशक में लता मंगेशकर ने गायकों के साथ होने वाले इस अन्याय के खिलाफ अपनी आवाज को बुलंद किया था.

हिन्दी सिनेमा की मशहूर गायिका लता मंगेशकर के लिए एक गायक के साथ होने वाले तमाम अन्यायों में सबसे पहली और जरूरी बात थी रिकार्ड पर गायक का नाम न लिखा जाना. साल 1949 में ‘महल’ फिल्म का संगीत रिलीज हुआ था और इस फिल्म का एक बेहतरीन गीत ‘आयेगा…आयेगा, आयेगा आनेवाला’ लता मंगेशकर ने गाया जिसके बाद उनकी गायिकी की प्रशंसा की जाने लगी लेकिन जिस समय इस गीत का रिकार्ड रिलीज हुआ था तो उस पर गायक के स्थान पर ‘कामिनी’ का नाम लिखा था. दरअसल इस फिल्म में अभिनेत्री मधुबाला का नाम कामिनी था. यह बात लता मंगेशकर को जरा भी सहन नहीं हुई और उन्होंने ग्रामोफोन कम्पनी आफ इंडिया के खिलाफ विरोध करना शुरू कर दिया. एक लंबे विरोध के बाद लता मंगेशकर का नाम कामिनी के स्थान पर लिखा गया.

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साल 1957 तक एक गायक को उसकी गायिकी के लिए फिल्मफेयर अवार्ड नहीं दिया जाता था पर जब फिल्म ‘चोरी चोरी’ के गीत ‘रसिक बलमा’ के लिए संगीतकार शंकर जयकिशन को फिल्मफेयर अवार्ड दिया गया जिसे गाया लता मंगेशकर ने था तो इस बात से नाराज लता ने साफ तौर पर कह दिया कि क्या संगीतकार बिना गायक के गीत को कामयाब बना पाता. इस साल के बाद से एक गायक को भी फिल्मफेयर अवार्ड दिया जाने लगा.


मोहम्मद रफी और लता मंगेशकर के बीच विवाद का कारण भी गायक को रॉयल्टी मिलने को लेकर था. मोहम्मद रफी का मानना था कि जब गायक अपनी गायिकी की फीस वसूल कर लेता है तो फिर उसके बाद उसका रॉयल्टी मांगना जायज नहीं है जब कि लता मंगेशकर का मानना था कि गायक की आवाज ही गीत की आत्मा होती है इसलिए रॉयल्टी लेना उसका हक बनता है.


लता मंगेशकर ही नहीं गीतकार जावेद अख्तर ने भी कापीराइट एक्ट पर संशोधन के समय गीतकार के लिए भी रॉयल्टी के प्रावधान की बात उठाई थी और आमिर खान जैसे हिन्दी सिनेमा के अभिनेता-निर्माता ने उनका विरोध किया था. आज के संगीतकारों में एआर रहमान तो म्यूजिक कंपनियों से अपना पूरा मुनाफा वसूल करते हैं पर जब आमिर खान ने अपनी फिल्म ‘तारे जमीन पर’ के लिए इस शर्त से इंकार किया तो रहमान ने फिल्म में संगीत देने से भी इंकार कर दिया. एक गीतकार जिसे गीत की नींव कहा जाता है, एक संगीतकार जो गीत को सुर देता है और एक गायक जो गीत की आत्मा होता है सालों पहले भी और आज भी संघर्ष के दौर से गुजर रहे हैं.


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