Indian Youth Club
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64 साल आज़ादी के बीत गए ,
आज़ादी की ख़ुशी करप्शन के अँधेरे में खो गयी ,
माँ भारती को खुश देखने की चाह में ,
कितनी ही जवान आँखे बूढी हो गयी ,
आज़ादी मिली सोचा अब हर ख़ुशी मिल जाएगी ,
हर पेट को रोटी हर तन को कपडा और मकान
हर लव पर मुस्कान खिल जाएगी ,
आज़ादी मिली किस्मत एक पल के लिए जागी और सो गयी ,
माँ भारती को खुश देखने की चाह में ,
कितनी ही जवान आँखे बूढी हो गयी ,
नहीं चाहिए थी ऐसी आज़ादी जिस में हाथ लाल किये हों भाई ने भाई के खून से ,
नहीं चाहिए थी ऐसी आज़ादी जहाँ आम भारती ना जी पाया हो एक पल सकून से ,
सकून दुन्ड़ते दुन्ड़ते कितनी ही आँखे बंद कितनी ही रो गयी ,
माँ भारती को खुश देखने की चाह में ,
कितनी ही जवान आँखे बूढी हो गयी , जय हिंद
दोस्तो मेरी कोशिश देश को करप्षन के खिलाफ एक करने की है ताकि करप्षन के खिलाफ अन्ना की लड़ाई को जीता या सके ,
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