यह खबर आज से लगभग 10 साल बाद प्रकाशित होगी, साल 2024 में. ‘चार लोग धरती छोड़कर चले गए, फिर कभी न लौटने के लिए.’ ये चारों लोग मरने के लिए नहीं बल्कि अपनी बाकि की जिंदगी धरती से कहीं दूर बिताने के लिए धरती से दूर चले जाएंगे. धरती से करीब 5 करोड़ 46 लाख किलोमीटर दूर एक दूसरे ग्रह पर जिसे हम मंगल ग्रह के नाम से जानते हैं. और यह चार लोग कौन होंगे इसके लिए चयन प्रक्रिया शुरू हो गई है.
आपको जानकर हैरानी होगी कि इस परियोजना में शामिल होने के लिए एक खुले आमंत्रण के उत्तर में करीब 2 लाख आवेदन आएं. यानी विश्वभर में इतने लोगों ने यह इच्छा जाहिर की है कि वे अपने अंतिम दिन अपने होम प्लैनेट से दूर मंगल ग्रह पर बिताना चाहेंगे. एक डच संस्था के अनुसार लाल ग्रह के लिए ‘वन वे ट्रिप’ यानी एकतरफा यात्रा के लिए आए 2 लाख से अधिक आवेदनों में से 660 लोगों को अंतिम दौर की प्रतियोगिता के लिए चुना है. इन लोगों को अब आखिरी चार में जगह बनाने के लिए कठिन खगोलशास्त्रीय परीक्षण से गुजरना होगा. साक्षात्कार और ग्रुप चैलेंज के द्वारा यह पता लगाने की कोशिश की जाएगी कि ये अभ्यार्थी कितने बेहतर तरीके से एक दूसरे का सहयोग कर मंगल जैसे निर्जन और कठिन स्थान पर जीवित रह पाएंगे.
Read: मंगल मिशन के इस प्रमुख वैज्ञानिक का एक और अवतार
सूर्य से चौथे ग्रह यानी मंगल पर धरती से जाने वाले इन चार लोगों के कंधों पर एक अहम जिम्मेवारी होगी. मंगल पर मानव सभ्यता की नींव डालने की जिम्मेवारी. इन चार लोगों में दो पुरुष और दो महिला शामिल होंगी और इस परियोजना को नाम दिया गया है ‘मार्स वन मिशन.’
मार्स वन मिशन की वेबसाइट के अनुसार इस मिशन के सदस्य वे लोग बनेंगे जो मंगल पर जाकर बस जाना चाहते हैं. इस मिशन के अंतर्गत वापसी की योजना न होने के कारण इसकी संरचनात्मक लागत में काफी कमी आएगी.
यह वेबसाइट बताती है कि ‘मंगल ग्रह पर जाने वाले इन अंतरिक्ष यात्रियों के जीवन में इस उद्देश्य से बड़ी और कोई महत्वाकांक्षा नहीं होगी. कुछ लोगों के लिए उनका यह फैसला अटपटा लग सकता है पर हमें ऐसे ही अंतरिक्ष यात्रियों को चुनना है.’
Read: नासा से भी टैलेंटेड वैज्ञानिक भारत की गलियों में घूम रहे हैं, यकीन नहीं आता तो खुद ही पढ़ लीजिए
इस मानव मिशन से पूर्व 2022 में 6 गैर मानव अभियान के तहत लाल ग्रह पर कई रोवर भेजें जाएंगे. इस मिशन के तहत लाइफ सपोर्टिंग युनिट भी मंगल ग्रह पर स्थापित किया जाएगा. 8 से 9 महीने की यात्रा कर मंगल पर पहुंचने के बाद यह अंतरिक्ष यात्री मंगल पर अपना भोजन खुद उगाने का प्रयास करेंगे.
मार्स वन के इस मिशन के लिए 6 अरब डॉलर का फंड एकत्रित करने का है. इसके लिए वह स्पॉनसरशिप डील, प्रसारण अधिकार बेचने, क्राउड फंडिंग और तकनीक का इंटेलेक्चुअल प्रापर्टी अधिकार के लाइसेंस बांटने के तरीकों का प्रयोग करेगी.
भारत के आखिरी मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर को अंग्रेजो द्वारा देश निकाला दे दिया गया था. उन्हें अपने आखिरी दिन बर्मा में गुजारने पड़े थे. वे एक प्रसिद्ध शायर भी थे और उनका यह मशहूर शेर उन सभी लोगों का दर्द बयां करता है जिन्हें अपने जीवन के आखिरी दिनों में अपनी मातृभूमि नसीब नहीं होती…
कितना है बदनसीब “ज़फ़र” दफ़्न के लिये
दो गज़ ज़मीन भी न मिली कू-ए-यार में
जरा सोचिए 2024 में मानवता के लिए एक नया घर बसाने निकले इन यात्रियों के आगे तब यह शेर कितना अप्रसांगिक लगेगा. Next…
Read more:
Read Comments