धरती पर उड़ती परियां जब कैमरे में कैद हुईं तो किसी को भरोसा नहीं हुआ कि दादी-नानी की कहानियों में जिन पंखों वाली सुंदर-सुंदर बालाओं का जिक्र होता था उनका अस्तित्व वाकई इस लौकिक दुनिया में है. परी लोक से सीधे इंसानी दुनिया की सैर करने आई इन छोटी-छोटी परियों का कैमरे में कैद हो जाना इस बात का सबूत है कि यह सिर्फ काल्पनिक कहानियों का ही हिस्सा नहीं बल्कि इनके होने पर अब विश्वास करने की जरूरत है.
मैनचेस्टर में रहने वाले 53 वर्षीय प्रोफेसर जॉन हयात ने रोजेनडेल वैली में अपने फोटोग्राफी टाइम में बहुत ही सुंदर परियों को कैमरे के लेंस में उतारा और जिसने भी उन तस्वीरों को देखा वह विश्वास नहीं कर पाए कि वाकई हकीकत की दुनिया में भी परियां होती हैं.
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मैनचेस्टर मेट्रोपॉलिटन यूनिवर्सिटी में लेक्चरर जॉन हयात का कहना है कि उनके हाथ एक बड़ा सबूत लगा है जिसे देखने के बाद कोई यह नहीं कह सकता कि परियां नहीं होतीं, क्योंकि उनके पास जो तस्वीरें हैं वह साफ बयां करती हैं कि इंसानी दुनिया में परियों का अस्तित्व मौजूद है और वह खूबसूरत रोजेनडेल घाटी में वास करती हैं. जॉन अपनी इस खोज को प्रचारित करने और दुनियाभर के लोगों को परियों की हकीकत से वाकिफ कराने की कोशिश में लग गए हैं.
जॉन हयात द्वारा खींची गई परियों की तस्वीरों के अलावा पहले भी कुछ लोग किस्से कहानियों में मौजूद जीवों को देखने जैसी बातें करते रहे हैं. कभी कोई पानी में रहने वाली जलपरियों को देखने का दावा करता है तो कभी कोई हिम मानव या येति के होने जैसी बातें कहता है तो कोई यह बात मानता है कि पृथ्वी पर अब देवदूतों के आगमन का सिलसिला शुरू हो चुका है. इसी कड़ी में परियों की इस खोज की खबर ये सवाल पैदा करती है क्या वाकई अब इंसानी और पारलौकिक दुनिया के बीच की दूरी खत्म होने के कगार पर है? जिस तरह इंसान दूसरी दुनिया के भीतर छिपे रहस्यों से पर्दा उठाने के लिए दिन-रात एक कर रहा है, क्या उसी तरह दूसरी दुनिया के वासी भी अपनी पहचान इंसानों के बीच स्थापित करने की जुगत में है? कहीं यह इंसानी जीवन के लिए किसी खतरे की आहट तो नहीं?
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