सदियों पुरानी इमारतें, महल, किले अपने भीतर एक कहानी छुपाये हुए हैं . जब कभी हम इन इमारतों का भ्रमण करते हैं तो एक अज़ीब सा अहसास हमको उत्तेजित करता है, उसके पीछे का सच जानने को . मन में अनेकों सवाल एक साथ उठ खड़े होते हैं जैसे – ये सब किसने बनाया ? कब बनाया ? और इनको बनाने का क्या उद्देश्य रहा होगा ? कुछ ऐसा ही रहस्य छुपाये हैं सदियों पुराने “स्टेप वैल” जिनको क्षेत्रीय भाषा में बावड़ी, बावली या वाव के नाम से जाना जाता था .
हमारे देश के बहुत से हिस्सों में प्रारम्भ से ही पानी की समस्या चली आ रही है और कई बार कुछ क्षेत्रों तथा नगरों को सूखे की स्थिति का सामना करना पड़ता था, जिसके चलते वहाँ राज करने वाले तत्कालीन राजा,रानी अथवा शासकों ने इस समस्या के निदान के लिए बावड़ी का निर्माण कराना उचित समझा सही मायनों में सूखे की स्थिति में जब तालाबों और नदियों का पानी सूख जाता तब पानी की कमी को पूरा करना ही इनके निर्माण का एकमात्र उद्देश्य था .
Read: सपने में देखा अपना अंतिम संस्कार हकीकत में हो गई हत्या, ये है राष्ट्रपति की मौत की कहानी
स्टेप वैल को बनाने के लिए विशेष आर्किटेक्ट का प्रयोग किया जाता था जिसमें बहु- मंज़िल इमारतों के नीचे कुँए बनाये जाते थे और साथ ही इनको पास की नदियों और नहरों से जोड़ दिया जाता था . इन कुँओं के चारों तरफ चौड़ी-चौड़ी सीढियाँ बनायीं जाती और ऊपर से छत ताकि आने जाने वाले राहगीर तथा उनके घोड़े, यहाँ प्यास भुजाकार एक-आध दिन विश्राम भी कर सकें. ती थी .
जानवरों का ध्यान रखते हुए इसमें एक स्लोप भी बनायीं जाती थी ताकि जानवरों को उतरने में कोई दिक़्क़त न हो . पानी गन्दा न हो इसलिए साल भर इन कुओं को ढक कर रखा जाता था . बारिश के दिनों में कुँओं के पानी का लेवल सबसे ऊपर की मंज़िल तक पहुँच जाता था और गर्मियों के समय पानी के लिए सैकड़ों सीढिया उतरनी पड़ मध्यकालीन युग में लगभग 3000 “स्टेप वैल” बनवाये गए जिनमे से कुछ देखरेख ना होने के कारण सूख गए तो कुछ खंडहर बन गए.
अंग्रेज कुँओं के पानी को अन-हाइजिनिक मानते थे जो अनेक बीमारियों का कारण समझा जाता था जिसके चलते कुछ कुँए ब्रिटिश सरकार द्धारा पाट दिए गए, वर्तमान में इनमे से कुछ कुँए कूड़े-करकट से भरे हुए हैं . आज भी उत्तरी भारत में सैकड़ों ‘स्टेप वैल’ देखने को मिलते हैं जिनमे से 30 दिल्ली में मौजूद हैं. दिल्ली में स्तिथ ‘अग्रसेन की बावली’ राजस्थान की ‘चाँद बावरी’ और अहमदाबाद की ‘अदलालज वाव’ ‘स्टेप वैल’ के जीवंत उदाहरण हैं जो प्रति क्षण शताब्दी पहले की कलाकारी, नक्काशी और बौद्धिक हुनर का परिचय दे रहे हैं…Next
Read More:
12 कब्रों के बीच बने इस रेस्टोरेंट में लोग करते हैं पार्टी, देशभर में है मशहूर
भारत नहीं इस मुस्लिम देश में नोटों पर छपी है गणेश भगवान की तस्वीर
एम्प्लॉयीज को खुश करने के लिए अब कंपनियां कर रही हैं ये सब
Read Comments