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पेट्रोल की कीमत ऐसे होगी कम

पिछले कुछ महीनों में अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतों में भारी गिरावट दर्ज हुई है और इसका असर घरेलू बाजार में भी दिख रहा है. खैर यह गिरावट कितने दिनों तक बनी रहेगी यह कहना मुश्किल है. हम सब जानते हैं कि धरती पर पेट्रोलियम सीमित मात्रा में मौजूद है और निकट भविष्य में इसकी मांग कम होने की कोई गुंजाइश नजर नहीं आती. बजाए इसके बढ़ते जीवन स्तर के साथ पेट्रोलियम पदार्थों की मांग बढ़ने की ज्यादा संभावना है. भारत और चीन की सड़कों पर जिस तादाद में वाहन बढ़ रहे हैं उन्हेंं देख यह सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि आने वाले दिनों में तेल को लेकर कितनी मारामारी मच सकती है. पर एक ऐसा पदार्थ है जिसका बड़े पैमाने पर इस्तेमाल भविष्य में तेल की मांग को काफी घटा सकता है जिसका सीधा असर तेल के दाम पर पड़ेगा. इस पदार्थ का नाम है कार्बन फाइबर.


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कार्बन फाइबर किस प्रकार तेल के दाम को किस कम कर सकता है यह जानने के लिए सबसे पहले हमें जानना होगा कि आखिर यह कार्बन फाइबर है क्या. कार्बन फाइबर एक ऐसा पदार्थ है जिसकी मजबूती स्टील से पांच गुना ज्यादा होती है पर इसका वजन स्टील के मुकाबले दो तिहाई ही होता है. दरअसल कार्बन फाइबर कार्बन की बेहद महीन डोरियां होतीं हैं, इंसान के बालों से भी अधिक महीन. इन धागों को कपड़े की तरह बुना जा सकता है. इस तरह के कपड़े के ऊपर पिघले हुए प्लास्टिक की परत और कठोर रेसिन लगाकर इसे स्थायी रूप दिया जाता है.


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आप सोच रहे होंगे कि आखिर यह कार्बन फाइबर तेल की मांग को कैसे कम कर सकता है. आपको बता दें कि तेल की खपत की एक मुख्य वजह है गाड़िया. अगर हम गाड़ियों का वजन कम कर दें वह भी इस तरह से कि इससे उनकी मजबूती और सूरक्षा पर कोई असर न पडे तो तेल की मांग काफी हद तक कम हो जाएगा. क्योंकि जितनी भारी गाड़िया होंगी उतना ही उनका उर्जा खपत होगा यानी हल्की गाड़ियों का अर्थ है कम तेल में ज्यादा माइलेज वह भी इंजन में बिना कोई विशेष बदलाव किए. गाड़ियों के निर्माण में कार्बन फाइबर के प्रयोग से यह काम बखूबी किया जा सकता है.


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ज्यादातर वाहनों के पुर्जे स्टील के बने होते हैं. स्टील के पुर्जों को कार्बन फाइबर से बदलकर वाहनों के वजन में 60 प्रतिशत तक की कमी लाई जा सकती है. वाहनों के वजन में इतनी कमी लाकर उनके उर्जा खपत को 30 प्रतिशत तक घटाया जा सकता है.  इससे ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में भी 10 से 20 प्रतिशत तक की कमी लाई जा सकती है जो की एक बड़ी बचत सिद्ध होगी. कार्बन फाइबर से बने हल्के वाहन कार निर्माताओं को छोटे और उन्नत किस्म के इंजन बनाने की छूट देगा जिससे तेल की खपत और कम हो सके. इस तरह से कार्बन फाइबर भविष्य में तेल के संकट का एक अच्छा समाधान बन सकता है. अब आप सोच रहें हैं कि यह कार्बन फाइबर अगर इतना ही उपयोगी है तो इसका बड़े पैमाने पर प्रयोग क्यों नहीं होता.


पेट्रोल की कीमत हो सकती है 20 रुपये!


दरअसल कार्बन फाइबर की तमाम खासियतों के बावजूद इसकी कुछ कमियां भी हैं जो इसके बड़े पैमाने पर प्रयोग को बाधित करती है. सबसे बड़ी समस्या है इसकी ऊंची कीमत. 10 साल पहले तक 1 पाउंड कार्बन फाइबर की कीमत 150 डॉलर यानी करीब 9000 रुपए थी. अब यह कीमत करीब 10 डॉलर प्रति पाउंड है यानी करीब 600 रुपए. विशेषज्ञों का मानना है कि अगर कार्बन फाइबर का बड़े स्तर पर प्रयोग संभव बनाना है तो इसकी कीमत कम से कम आधी होनी चाहिए. फिलहाल ऐसी कुछ ही कार हैं जिनकी बॉडी को बनाने में कार्बन फाइबर का प्रयोग होता है. ये कारें हैं, बीएमडब्लयू एम6, फोर्ड जीटी और ऑडी आर 8.


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कार्बन फाइबर की दूसरी कमी है इसका रिसाइकल न होना. जहां आम कार में प्रयोग स्टील को फिर से पिघलाकर प्रयोग में लाया जा सकता है कार्बन फाइबर से बनी कारों के साथ यह सुविधा नहीं होगी. इस तरह इनके निस्तारण में भी समस्या उत्पन्न होगी. अगर कार्बन फाइबर की इन कमियों को दूर कर दिया जाए तो यह सचमुच चमत्कार का एक टूकड़ा सिद्ध हो सकता है जो आधुनिक युग की बहुत सारी समस्याओं से निजात दिला सकता है.Next…


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