पिछले साल आज की तारीख से एक दिन पहले यानी 25 अप्रेल 2015 को नेपाल में महाभूकंप आया तो फिर से उस व्यक्ति का नाम हर मीडिया प्लेटफॉर्म पर दिखाई और सुनाई देने लगा जिसने अपनी सारी जिंदगी भूकंप के अध्ययन में लगाया था. इस व्यक्ति का नाम है चार्ल्स फ्रांसिस रिक्टर. नेपाल का महाभूकंप इस चार्ल्स रिक्टर के 115वें जन्मदिन के ठीक एक दिन पहले आया था. यानी आज 26 अप्रेल 2016 को चार्ल्स रिक्टर का 116 वां जन्मदिन है. दुनिया में चाहे कहीं भी भूकंप आए, कितनी भी तिव्रता का भूकंप आए, चार्ल्स रिक्टर का नाम जरूर याद किया जाता है क्योंकि वे चार्ल्स रिक्टर ही थे जिन्होंने दुनिया को भूकंप की तीव्रता को मापने का पैमाना बताया जिसको उनके सम्मान में रिक्टर स्केल नाम दिया गया.
चार्ल्स रिक्टर का जन्म 26 अप्रेल 1900 में अमेरिका में हुआ था। चार्ल्स रिक्टर उन पहले वैज्ञानिकों में शुमार हैं जिन्होंने भूकंप के अध्ययन की शुरूआत की थी। उस वक्त तक भूकंप पर बेहद कम डाटा मौजूद था. उन्होंने भूकंप के उपर दो किताबें लिखीं जिन्हें वैज्ञानिक उनके जीवन का सबसे महत्वपूर्ण काम मानते हैं. आज भी भूकंप का अध्धयन करने वालों के लिए इन किताबों की प्रासंगिकता बनी हुई है. अपने काम के प्रति रिक्टर इस तरह समर्पित थे कि उन्होंने अपने घर में ही साइज़्मग्रैफ फिट करवा लिया था. वे भूकंप के ऊपर सवालों के जवाब देने के लिए हर समय उपलब्ध रहते थे.
साइज़्मग्रैफ (seismograph) या भूकंप सूचक यंत्र भूकंप मापने के औजार को कहा जाता है. भूकंप का आकार मापने के लिए जिस पैमाने का आज इस्तेमाल किया जाता है वह चार्ल्स रिक्टर ने जर्मनी के भूंकप वैज्ञानिक बेनो गुटनबर्ग केसाथ मिलकर 1930 के शुरूआती वर्षों में विकसित किया था. यह स्केल लघुगणकीय (logarithmic) होता है. यानी रिक्टर स्केल पर 7 तीव्रता का भूकंप रिक्टर स्केल पर 6 तीव्रता के भूकंप से 10 गुना अधिक ताकतवर होता है. ऐसे ही वह रिक्टर स्केल पर 5 की तीव्रता से 100 गुना अदिक ताकतवर होगा…Next
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