नारियल तेल बालों के लिए अच्छा होता है और इसका दक्षिण भारतीय व्यंजन बनाने में भी प्रयोग किया जाता है, पर क्या आपको पता है कि नारियल तेल गाड़ियों के लिए एक बहुत अच्छा ईधन भी साबित हो सकता है. यह कारनामा किया है केरल के कुछ वैज्ञानिकों ने. इन वैज्ञानिक ने डीजल इंजन वाले छोटे ट्रक को पिछले एक साल से सफलतापूर्वक नारियल तेल से चलाने में कामयाबी पाई है.
कोच्चि के एससीएमएस इंस्टीट्यूट ऑफ बायोसाइंस एंड बायोटेक्नोलॉजी रिसर्च एंड डेवलपमेंट और एससीएमएस स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी से जुड़े वैज्ञानिकों ने इस जैव ईंधन को व्यावसायिक करने के लिए केंद्र सरकार से अनुमति मांगी है. वैज्ञानिकों के दावे बेहद हैरान करने वाले हैं. उनके अनुसार टाटा एसीई ट्रक बनाने वाली कंपनी दावा करती है कि यह वाहन एक लीटर डीजल में 16 किलोमीटर का माइलेज दे सकता है, जबकि नारियल तेल से यह वाहन प्रति लीटर 22.5 किलोमीटर का माइलेज दे रहा है. छह वैज्ञानिकों के इस दल का नेतृत्व करने वाले वैज्ञानिक सी.मोहनकुमार ने बताया कि इस ट्रक को एक साल पहले खरीदा गया था। अब तक यह 20 हजार किलोमीटर चल चुका है जिससे यह साबित होता है कि नारियल तेल को आसानी से डीजल की जगह प्रयोग किया जा सकता है.
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मोहनकुमार ने बताया कि अन्य जैव डीजल की तुलना में नारियल तेल से बनने वाले जैव डीजल से उत्सर्जन काफी कम होता है और यह प्रकृति के अनुकूल भी है. उन्होंने कहा कि 10 हजार लीटर नारियल तेल से 760 लीटर जैव ईंधन तैयार किया जा सकता है. नारियल तेल से जैव ईंधन बनाने की प्रक्रिया में पांच ऐसे उत्पाद भी निर्मित होते हैंं जिनकी बाजार में काफी कीमत है.
760 लीटर जैव ईंधन बनाने में पांच हजार किलोग्राम भूसी, 2500 किलोग्राम नारियल का छिलका, 1250 किलोग्राम नारियल पानी और लगभग 1200 किलोग्राम केक और 70 लीटर ग्लिसरॉल बनता है. बाजार में इन उत्पादों की अच्छी कीमत मिल जाती है और इस तरह जैव ईंधन की लागत मूल्य बेहद कम हो जाती है और इसे 40 रुपए प्रति लीटर बेचा जा सकता है.
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मोहनकुमार ने कहा कि उन्होंने पहले ही अमेरिकी पेटेंट के लिए आवेदन कर दिया है साथ ही जैव ईंधन के रूप में इसका व्यवसायीकरण करने के लिए केंद्र सरकार से भी संपर्क किया गया है. वहीं नारियल विकास समिति (सीडीबी) के अध्यक्ष टी.के.जोस का कहना है उन्होंने कि वैज्ञानिकों द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे वाहन के प्रदर्शन का अध्ययन किया है. पर इस नए अविष्कार को आगे ले जाने के लिए सीडीबी के पास फंड नहीं है. फंड के लिए केंद्र सरकार से संपर्क किया गया है. Next…
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