Menu
blogid : 7629 postid : 1105512

155 साल पुराने इस कॉलेज में अब हैं मात्र 3 विद्यार्थी और 1 अध्यापक

कभी दक्षिण भारत का यह महाविद्यालय भी विद्यार्थियों से गुलजार रहा करता था. लेकिन समय के साथ इसकी दुर्दशा भी बढ़ती गई और आज इसमें मात्र 3 विद्यार्थी अध्ययन कर रहे हैं. यह कॉलेज दक्षिण भारत के कुछ सबसे पुराने कॉलेजों में शुमार है. यह उन चंद कॉलेजों में शुमार है जो संस्कृत में डिग्री कोर्स चलाते हैं.


HyderabadS



आंध्र प्रदेश के विजयनगरम जिले में स्थित एमआर गवर्नमेंट संस्कृत कॉलेज की स्थापना 1860 में विजयनगरम के महाराजा द्वारा किया गया था. केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री अशोक गजपति राजू इसी राजघराने से ताल्लुक रखते हैं.


Read: होमवर्क न करने पर स्कूल टीचर ने दिया ऐसा दंड!


1950 के दशक में भारत सरकार ने इस ऐतिहासिक संस्था को अपने आधीन ले लिया. सन 2004 में इस संस्था को संस्कृत हाई स्कूल और एमआर गवर्नमेंट संस्कृत कॉलेज में विभाजित कर दिया गया. इस विभाजन के बाद संस्कृत हाई स्कूल की तो प्रगति हुई पर संस्कृत कॉलेज में विद्यार्थियो की संख्या दिन प्रतिदिन गिरती गई.


कॉलेज से जुड़े एक प्रशासनिक अधिकारी बी रमा राव बताते हैं कि हर साल यहां दाखिला लेने वाले विद्यार्थियों की संख्या घट रही है. एक दशक पहले यहां तकरीबन संस्कृत पढ़ने वाले 20 विद्यार्थी थे लेकिन पिछले साल यह संख्या घटकर 5 रह गई और इस साल यह मात्र 3 रह गई.  वर्तमान में यहां बीए प्रथम वर्ष के केवल दो विद्यार्थी पढ़ रहे हैं. एक विद्यार्थी प्री-डिग्री कोर्स में नामंकित है.


Read: यह स्कूल बाकी स्कूलों से कुछ स्पेशल है क्योंकि यहां केवल जुड़वा बच्चे आते हैं, जानिए कहां है यह अद्भुत स्कूल


स्कूल और कॉलेज स्टाफ के अनुसार जिले के ज्यादातर विद्यार्थी गरीब परिवारों से आते हैं. विद्यार्थी संस्कृत जैसे पारंपरिक विषयों की जगह प्रोफेशनल कोर्सेस को तरजीह देते हैं. ऐसे कोर्सेस करने के बाद नौकरी पाने की संभावना बढ़ जाती है. संस्कृत महाविद्यालय में केवल वही प्रवेश लेने आता है जिसका कहीं और प्रवेश नहीं हो पाता.


इस कॉलेज की एक मात्र अध्यापिका का नाम स्वप्ना हइंदवी है जो की इस कॉलेज की प्रिंसिपल भी हैं. इस कॉलेज से स्वप्ना 1999 से जुड़ी हैं और सन 2004 से वे यहां प्रिंसिपल हैं. स्वप्ना कहतीं हैं कि सरकार की तरफ से कॉलेज को कोई सहयोग नहीं मिलता, न कोई स्कॉलरशिप है, और न ही इस प्राचीन और वैज्ञानिक भाषा को पढ़ने वाले विद्यार्थियों को कोई विशेष मान्यता मिलती है.


हालांकि इस कॉलेज से अलग हुआ स्कूल ठीक-ठाक चल रहा है. इसमें 371 विद्यार्थी पढ़ाई कर रहे हैं और पढ़ाने के लिए यहां 13 अध्यापक नियुक्त हैं. Next..


Read more:

यहां बंदर लेते हैं क्लास, सिलेबस में संगीत और डांस भी

हाई स्कूल पास करते-करते लग गए 93 साल…आंखों से छलकी खुशी

इस अनोखे स्कूल में शिष्यों को आईफोन रखने की है छूट, मगर टीवी पर है बैन


Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh