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‘दीवारों के भी कान होते हैं’ इस बात को साबित करती है ये अजीब जगह

छिपा है. आइए इस रहस्य के बारे में जानते हैं.


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कब बना यह इमामबाड़ा

भूलभुलैया भी कहा जाता है. यह इसलिए बनवाया गया ताकि आसफउद्दौला अपने दुश्मनों से सुरक्षित रह सकेंं. उनका मानना था कि अगर कोई दुश्मन यहांं हमला करे तो वह यहां कि भूलभुलैया में फंस कर रह जाएगा.


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सीमेंटसे नहीं बनी है दीवारेंं

आपको जानकर हैरानी होगी कि यहां कि दीवारें सीमेट से नहीं बनी है, बल्कि इसे उड़द व चने की दाल, सिंघाड़े का आटा, चूना, गन्ने का रस, गोंद, अंड़े की ज़र्दी, लाल मिट्टी, चाशनी, शहद और जौ के आटा का इस्तेमाल करके बनाया गया था. इसलिए यह दीवारें खास और बेहद अलग हैंं.


-imambara



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दीवारों के आरपार सब सुनाई देता है

यह दीवारें सीमेंंट की नहीं हैंं इसलिए आप इन दीवारों के पीछे से कुछ भी सुन सकते हैंं… लोगों की बातेंं यहां तक की अगर कोई कागज भी हिला रहा है तो उसकी भी आवाज आपके कानों में आसानी से आ जाएगी. साथ ही यहां की दीवारों में कई खोखली लाइनें भी हैंं, जिसके सहारे आवाज एक कोने से दूसरे कोने आसानी से सुनाई देती है.


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शायद इसलिए कहा जाता है कि दीवारों के भी कान होते हैं,  क्योंकि अगर आप दीवारों के पास हल्की आवाज में भी बात करेंगे, तो दूसरी तरफ खड़े सख्स को सभी बाते सुनाई देगी…Next


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