उत्तर प्रदेश का बिजनौर आपसी भाईचारे का शानदार उदाहरण पेश कर रहा है. सावन के महीने में शिव भक्तों का उत्साह चरम पर होता है और इस उत्साह को चरम पर बनाये रखने में वहाँ रहने वाले मुसलमान अपना योगदान देते हैं.
बिजनौर के नज़िबाबाद में रहने वाले शिव भक्त हर वर्ष कंधों पर काँवड़ उठाकर शिव के दर्शनीय स्थल देखने जाते हैं. वहीं वहाँ रहने वाले मुस्लिम कारीगर अपने हिंदू भाईयों के लिये काँवड़ से लेकर फूलदानी बनाते हैं. लकड़ियों और बाँसों से बनाये जाने वाले काँवड़ और फूलदानियों में उन्हें ज्यादा आय नहीं होती. हालांकि पुश्तैनी पेशा होने के कारण वो इसे छोड़ना नहीं चाहते.
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सावन के महीने में शिव भक्त सोमवार का व्रत रखते हैं. कई काँवड़िये काँवड़ के साथ देवघर और अन्य शिव मंदिरों में जाते हैं. नज़िबाबाद के अनीस अहमद शिव के भक्तों से इस धार्मिक काम के मामूली रकम लेते हैं.
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अनीस अहमद का यह काम यह जाहिर करता है कि सामुदायिक सौहार्द केवल भाषणों से नहीं आपसी तालमेल और भाईचारे से आती है. भारत भी उस देश के रूप में जाना जाता है जिसने सदियों से अपनी सहनशीलता का परिचय देते हुए अपनी गोद में सभी धर्मों को फलने-फूलने का पूरा मौक़ा दिया है.Next….
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