जिंदगी जीने का नाम है, हमारे और आपके लिए बेशक यह सिर्फ एक कहावत है लेकिन शंघाई के लोग इस कहावत को साकार रूप देने की पूरी-पूरी कोशिश कर रहे हैं. जरा सोचिए अगर आपके घर का कोई महत्वपूर्ण सदस्य कहीं खो जाए और आपको उसकी कोई खबर ही ना रहे तो आपका क्या हाल होगा? निश्चित रूप से आप गम और दुखों के सागर में डूब खुद को असहाय महसूस करने लगेंगे. अपने प्रियजन की याद आपको ना तो रात को सोने देगी और ना ही आपको कहीं भी आराम मिल पाएगा. आपका पूरा जीवन बस उस व्यक्ति की तलाश में ही गुजर जाएगा. लेकिन ऐसे हालातों में शंघाई के लोग ऐसे अपवाद बनकर सामने आ रहे हैं जो शायद हर उस व्यक्ति के लिए एक प्रेरणास्त्रोत बन सकते हैं जो अपनों की तलाश करते-करते हार गए हैं और आगे भी उनके मिलने जैसी उम्मीद को झुठला बैठे हैं.
शंघाई में रहने वाले एक व्यक्ति का दस वर्षीय बेटा कहीं खो गया है जिसकी तलाश वह आज भी बदस्तूर जारी रखे हुए हैं. लेकिन अपने बच्चे की तलाश करते हुए ना तो वह किसी प्रकार से निराश हुए हैं और ना ही नाउम्मीद. लेकिन इन सबके बीच वह कभी भी अपने बेटे का जन्मदिन मनाना नहीं भूलते. भले ही आज उनका बेटा उनके साथ नहीं है लेकिन उन्हें पूरी उम्मीद है कि एक ना एक दिन वह वापस जरूर आएगा इसीलिए अपने बेटे का जन्मदिन उसी तरह मनाते हैं जैसा उसके होने पर मनाते थे. उसके लिए तोहफे लाते हैं और मेहमानों को भी न्यौता देते हैं. अपने बेटे की यादों को अपने अंदर समेटे यह परिवार, पार्टी में हर उस शख्स को आमंत्रित करता है जिनकी संतान उनसे जुदा है लेकिन वह उसके मिलने को लेकर नाउम्मीद नहीं है.
सबसे महत्वपूर्ण बात तो यह है कि यह सभी परिवार एक-दूसरे के बच्चों को ढूंढ़ने में मिलकर मदद करते हैं. इसी का परिणाम है कि कई परिवारों को उनके बच्चे मिल भी चुके हैं.
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