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माँ दुर्गा की स्तुति की वो विधियाँ जिनसे रोगों का नाश और पापों का प्रायश्चित किया जा सकता है

आज से नवरात्र शुरू हो रही है. हमारे देश में यह एक पर्व की तरह मनाया जाता है, एक ऐसा पर्व जो प्रतीक है असत्य पर सत्य की जीत का…….एक ऐसा पर्व जो हमें अपनी नकारात्मक विचारों को सकारात्मक विचारों के तेज से खत्म करने की शक्ति देता है…….एक ऐसा पर्व जो आपसी भाईचारे को बढ़ाता है. यह पर्व हमारे चरित्र को उदार बनाकर समस्त विश्व को कुटुम्ब बनाने की प्रेरणा देता है. तो आइए, नवरात्र के पहले दिन अपने समस्त दुखों की समाप्ति के लिए हम इन मंत्रों का पाठ करें-



navarati



निरोग और सौभाग्यशाली होने के लिए-

देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि में परमं सुखम।

रूपं देहि जयं देहि यशो देहि दिूषो जहि।।



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रोग हो जाने पर उसके नाश के लिए-

रोगानशेषानपहंसि तुष्टा

रूष्टा तु कामान् सकलानभीष्टान्।

त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां

त्वामाश्रिता ह्राश्रयतां प्रयान्ति।



भूलवश पाप हो जाने पर उसके प्रायश्चित के लिए –

हिनस्ति दैत्यतेजांसि स्वनेनापूर्य या जगत्।

सा घण्टा पातु नो देवि पापेभ्योअन: सुतानिव।।



सुलक्षणा पत्नी की प्राप्ति के लिए –

पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्तानुसारिणीम्।

तारिणीं दुर्गसंसारसागरस्य कुलोद्भवाम।।



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पुत्र की प्राप्ति के लिए –

सर्वाबाधाविनिर्मुक्तो धनधान्यसुतान्वित: ।

मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशय:।।



विश्व की रक्षा के लिए-

या श्री: स्वयं सुकृतिनां भवनेष्वलक्ष्मी:

पापात्मानां कृतधियां हृदयेषु बुद्धि:।

श्रद्धा सता कुलजनप्रभवस्य लज्जा

तां त्वां नता: स्म परिपालय देवि विश्वम्।



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