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सुंदर लंबी गर्दन पाने का अनोखा तरीका है कायन महिलाओं के पास!!

kayan ladiesबर्मा और थाइलैंड की पर्वत चोटियों के बीच रहने वाली कायन जनजाति हमेशा से ही वहां जाने वाले पर्यटकों को आकर्षित करती रही है. कायन या पाडाउंग जनजाति का संबंध बर्मा और तिब्बत में रहने वाले जनजातियों के साथ माना जाता है. 80 के दशक के अंत और 90 के दशक के शुरूआती समय में जब बर्मा पर सेना ने शासन स्थापित कर लिया था उस समय बर्मा में रहने वाली यह जनजातियां अपना निवास स्थान छोड़कर थाइलैंड के बॉर्डर क्षेत्रों में रहने आ गई थीं. लेकिन आज भी इन्हें कुछ खास कानूनी अधिकार नहीं दिए गए हैं. कायन जनाजाति की जनसंख्या 40,000 के आसपास है


कायन जनजाति के प्रति बढ़ती दिलचस्पी का प्रमुख और एकमात्र कारण इस जनजाति की महिलाओं का विचित्र पहनावा और इनकी सदियों पुरानी मान्यताएं हैं. आमतौर पर महिलाओं को नाजुक और कोमल समझा जाता है, लेकिन कायन महिलाएं इस धारणा की अपवाद हैं. आपको यह जानकर बेहद अश्चर्य होगा कि यह कायन महिलाएं अपनी नाजुक गर्दन में भारी-भारी कांस्य के छल्ले पहनती हैं जिनकी संख्या उम्र के साथ-साथ बढ़ती जाती है. जब बच्ची पांच वर्ष की होती है तब से यह सिलसिला प्रारंभ होता है और जैसे जैसे उसकी आयु बढ़ती है छल्लों का भार और उनका आकार भी बढ़ता जाता है.


सदियों से यह परंपरा कायन जाति की महिलाओं की पहचान रही है. इस प्रथा को अपनाने का मुख्य कारण गर्दन की लंबाई को बढ़ाना है जिससे कायन महिलाएं और अधिक सुंदर और आकर्षक लगें. हालांकि कुछ लोगों का यह भी मानना है कि इस प्रथा का उद्देश्य कभी भी महिलाओं को सुंदर दर्शाना नहीं था बल्कि महिलाओं को दास-प्रथा से बचाने के लिए उन्हें भद्दा और बदसूरत प्रदर्शित किया जाता था.


kayanआज कायन महिलाएं इस प्रथा को अपनी पहचान समझने लगी हैं जो उनकी सुंदरता से संबंध रखती है. गले में पहने गए यह छल्ले इस बात को निश्चित करते हैं कि कायन महिलाएं केवल अपने समुदाय के पुरुषों के साथ ही विवाह करने के लिए बाध्य हैं. एक बार कांस्य के यह छल्ले पहनने के बाद इन्हें उतारना लगभग असंभव है. हालंकि अगर उन्हें कभी चिकित्सीय जांच की जरूरत पड़े तो वह इन छल्लों को उतार सकती हैं लेकिन अब यह भारी छ्ल्ले जिनका वजन पांच किलो तक होता है, उनके शरीर का एक आवश्यक हिस्सा बन गए हैं.


वैसे तो यह कायन महिलाएं अपनी कलाई और जोड़ों पर भी यह छल्ले पहनती हैं पर यह कभी भी पर्यटकों को उतना आकर्षित नहीं कर पाया जितना गले में पड़े यह छ्ल्ले करते हैं. कायन समुदाय को देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं जो राजस्व का एक बहुत महत्वपूर्ण जरिया बन गया है.


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