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बौनों के इस गांव में वर्जित है आपका जाना

60 साल पहले इस गांव के भी अधिकांश लोग साधारण कद-काठी के होते थे पर अचानक कुछ ऐसा हुआ कि यहां के बच्चों के कद बढ़ना रूक गया. आज इस गांव की 50 फीसदी आबादी की लंबाई 2 फीट 1 इंच से लेकर 3 फीट 10 इंच के बीच है और यह गांव बौनों के गांव के रूप में मशहूर हो गया है.


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यह  कहानी है चीन के शिचुआन प्रांत के दूर दराज इलाके में मौजूद गाँव यांग्सी की. सामान्य तौर पर हर 20000 इंसानों में से एक इंसान बौना होता है यानी इनका प्रतिशत बहुत कम होता है, लगभग आबादी का .005 प्रतिशत, पर इस गांव के 80 निवासियों में से 36 निवासी बौने हैं, मतलब यहां की लगभग आधी आबादी बौनी है. पिछले 60 सालों से वैज्ञानिक इस गांव के निवासियों में बौनेपन का कारण ढूंढ रहें हैं, पर आज तक कोई इसका ठोस कारण ढूंढ़ नहीं पाया है.


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गांव के बुजुर्गों का कहना है कि 1951 में बौनपन का पहला केस सामने आया था. उस साल गांव में एक खतरनाक बीमारी फैल गई थी और उसके बाद से ही गांव के लोग अजीबोगरीब हालात से जूझ रहें हैं. तब से इस गांव के बच्चों की 5 से 7 साल की उम्र के बाद ही लंबाई रूक जाती है और वे कई अन्य शारीरिक असमर्थता के शिकार भी हो जाते हैं.


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वैसे इस क्षेत्र में बौनों को देखे जाने की खबरे 1911 से ही आती  रही है. 1947 में एक अंग्रेज वैज्ञानिक ने भी इस इलाके में सैकड़ों बौनों को देखने की बात कही थी, पर  आधिकारिक तौर इस बीमारी का पता 1951 में चला जब प्रशासन को आचानक कई  पीड़ितों के अंग छोटे होने की शिकायत मिलने लगी.  1985 में जब जनगणना हुई तो गांव में ऐसे करीब 119 मामले सामने आए. इस बीमारी पर काबू नहीं पाया जा सका और  पीढ़ी दर पीढ़ी ये बीमारी आगे बढ़ती गई. इसके डर से लोगों ने गाँव छोड़कर जाना शुरू कर दिया ताकि इस  बीमारीसे उनके बच्चे बच सके. हालांकि 60 साल बाद अब हालात कुछ सुधरे हैं.  नई पीढ़ी में यह लक्षण कम नज़र आ रहे हैं.


इस गांव के बारे अधिकतर जानकारी यहाँ पहुँच पाने वाले रिपोर्टर्स के द्वारा ही मिल पाती है क्योंकि चीनी प्रशासन किसी भी विदेशी रिपोर्टर को इस गांव में जाने की इजाजत नहीं देता.


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वैज्ञानिक और विशेषज्ञ इस गाँव की मिटटी, पानी, अनाज आदि का कई बार अध्ययन कर चुके हैं, लेकिन वो इस स्थिति का कारण खोजने में अबतक विफल रहे हैं. 1997 में इस बीमारी का कारण गांव की जमीन में मौजूद पारा को बताया गया, पर वौज्ञानिक इसे साबित नहीं कर सके. कुछ लोगों का मानना है कि इसका कारण वो जहरीली गैसे हैं जो जापान ने कई दशकों पहले चीन में छोड़ी थी, पर सच्चाई यह है कि जापान कभी भी चीन के इस क्षेत्र में नहीं पहुंचा था. ऐसे ही समय-समय पर कई तरह के दावे किए गए, लेकिन सही जवाब नहीं मिला सका.


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अब तो गांव के लोग इसे बुरी ताकत का प्रभाव मानने लगे हैं. कुछ लोगों का कहना है कि खराब फेंगशुई के चलते हो ऐसा हो रहा है. वहीं, कुछ कहते हैं कि ये सब अपने पूर्वजों को सही तरीके से दफन ना करने के कारण हो रहा है.


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