यदि दिल में मंजिल को पाने का जुनून सवार हो तो, कठिन से कठिन बाधा भी सरल हो जाती है. अपने उम्र के आखिरी पड़ाव में कई बुजुर्गों ने अपने जीवन के अधूरे सपनों को पूरा किया है. अपने हौसलों की उड़ान से कई बुजुर्गों ने मुश्किल से मुश्किल चुनौतियों को भी पार किया है. दरअसल यही उम्र होता है जब उन्हें पारिवारिक जिम्मेदारियों से फुरसत मिलती है. ऐसे में बुजुर्ग खाली वक्त में अपने अधूरे सपनों को पूरा करना चाहते हैं. कहा जाता है कि इस उम्र में इंसान का तन और मन साथ देना कम कर देता है.
लेकिन धनबाद स्थित विशुनपुर निवासी निर्मला देवी ने अपने ढ़लती उम्र को ही अपना हथियार बनाया. 70 वर्षीया निर्मला देवी हमेशा अपने घर परिवार का सपना पूरा करने में लगी रहीं. इस दौरान उनका खुद का सपना ही कही गुम हो गया था लेकिन अब जब परिवार की जिम्मेदारी दूसरों के कंधों पर है तो निर्मला देवी ने खुद को अपने अधूरे सपनों को पूरा करने में लग दिया. बुजुर्ग निर्मला देवी का सपना है कि पढ़ाई-लिखाई करके कोई रोजगार करें.
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निर्मला देवी पिछले डेढ़ महीने से अपने इम्तिहान की तैयारियों में लगी हुई थीं. पोते-पोतियों ने भी अपनी दादी का हौसला खूब बढ़ाया. सभी तरह से उनके बच्चों ने मदद की. दादी कहती हैं कि इम्तिहान के वक्त वॉलंटियर टीचर का भी भरपूर सहयोग मिला. इम्तिहान में दादी माँ ने तीन घंटे में सभी सवालों के जवाब दे दिया. परीक्षा देने के बाद दादी की खुशी का ठिकाना नहीं था. जिला स्कूल में आयोजित साक्षरता वाहिनी की बुनियादी दक्षता परीक्षा में करीब 300 परीक्षार्थी शामिल हुए थे.
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परीक्षा देने के बाद दादी (निर्मला देवी) ने बताया कि घर पर पढ़ाई के दौरान पोते प्रतीक और पोतियां प्रेरणा और प्रगति मुझे पढ़ते देखकर खूब हंसते थे, हालाँकि उन लोगों ने मेरी बहुत मदद की. अब दादी आगे कम-से-कम 8वीं कक्षा तक पढ़ना चाहती हैं. पढ़ाई के बाद खुद का कोई रोजगार करना चाहती हैं.Next…
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