विभिन्न धर्मों में शवों को जलाने और दफनाने का रिवाज है. रोम की सभ्यता में शवों को इस उम्मीद से सुरक्षित रखा जाता था कि शायद वो फिर से जी उठेंगे. ऐसा नहीं है कि ये परंपरा एशिया में नहीं थी; दक्षिण एशिया के चीन, इंडोनेशिया और फिलीपींस में भी शवों को सुरक्षित रखा जाता था. परंतु, यहाँ शवों को सुरक्षित रखने के जो तरीके थे वो आपको हैरान कर देने के लिए काफी हैं……………..
चीन के सिचुआन प्रांत में बो समुदाय के लोग रहते थे. संख्या में कम होने के बावजूद उनका उस प्रांत पर जबरदस्त प्रभाव रहता था. इस समुदाय के लोग अपने परिजनों के मरने पर उनके शव को लिनेन के कपड़े में लपेट कर उसके साथ कुछ सामान रख देते थे. इसके बाद ये लकड़ी के एक टुकड़े से ताबूत बनाते थे जिसमें शव के साथ इन सामानों को रख दिया जाता था. पाँच सौ मीटर यानी करीब सोलह सौ चालीस फीट तक के ऊँचे इन ताबूतों को रस्सियों के सहारे पहाड़ों के ऊपरी हिस्सों पर लटका दिया जाता था. कभी-कभी ताबूतों को पहाड़ के अंदर किसी गुफा में भी रख दिया जाता था.
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फिलीपींस के पहाड़ी प्रांत में एक नगर-निगम है जिसका नाम सागाडा है. वर्षों से इस शहर की एक परंपरा यहाँ आज भी कायम है. वैसे बीमार व्यक्ति जो विवाहित होते हैं और जिनके पोते-पोतियाँ हैं वो खुद ही अपना ताबूत बनाते हैं. अगर वह व्यक्ति शारीरिक रूप से कमजोर है या अपना ताबूत खुद नहीं बना सकता तो उसका निकटतम संबंधी उसके लिए लकड़ी का ताबूत तैयार करता है. किसी व्यक्ति के मर जाने पर उसके शव को ताबूत के अंदर डाला जाता है. उसके बाद उस ताबूत को पहाड़ की किसी गुफा में रख दिया जाता है या पहाड़ पर किसी बीम के सहारे लटका दिया जाता है.
इंडोनेशिया के टोराजा समुदाय के लोग मृत व्यक्ति की शवयात्रा में जाते हैं. वहाँ मृत्यु से संबंधित कई रस्मों को पूरा किया जाता है जिसमें से कुछ तो कई दिनों तक चलते हैं. किसी रईस व्यक्ति के मरने पर बड़े भोज का आयोजन किया जाता है जिसमें हजारों लोग शामिल होते हैं. मृत व्यक्ति के ताबूत को गुफाओं या चट्टानों के किनारे पर लटका कर रख दिया जाता है.
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शवों को ताबूतों में डालने से पहले पारिवारिक रंगों से सुसज्जित वस्त्र पहनाएं जाते हैं. इन वस्त्रों पर ऐसी छपाई की जाती है जिससे परिवार की पहचान जुड़ी हो. इसके पीछे यह धारणा होती है कि अगले जन्म में उनके पूर्वजों द्वारा उसकी आत्मा की पहचान की जा सके. इससे जुड़ी एक मान्यता यह भी है कि वर्तमान और आने वाली पीढ़ियाँ इस ताबूत में बंद व्यक्ति की सफलताओं से आध्यात्मिक रूप से प्रेरित होती रहे. इससे जुड़ी एक मान्यता यह भी है कि ताबूतों को लटकाने से मृत व्यक्ति स्वर्ग के समीप पहुँच जाता है जहाँ से वो अपने परिवार के सदस्यों की निगरानी कर सकता है.
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