विज्ञान और पौराणिक कथाओं का रिश्ता हमेशा से ही सच और झूठ का रहा है. जिन तथ्यों और घटनाओं को धर्म अपना आश्रय प्रदान करता है उन्हें विज्ञान मानने से इंकार कर देता है. वहीं विज्ञान जिन अविश्वसनीय घटनाओं को आधार प्रदान करता है वह धर्म की सीमा में कभी बंध नहीं पातीं. पौराणिक चरित्रों और घटनाओं को धार्मिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो यह बेहद महत्वपूर्ण होती हैं लेकिन अगर आधुनिक विज्ञान की मानी जाए तो वह इन्हें मानना तो क्या इनके होने पर भी हमेशा संदेह ही रखता है.
अब हिंदू धर्म, जिसमें अवतारवाद और चमत्कारों की अवधारणा को पूरी तरह स्वीकार किया गया है, के अनुसार भगवान राम का जन्म राक्षसों के विनाश के लिए भगवान विष्णु के अवतार के रूप में हुआ था. लेकिन अगर इस मसले पर विज्ञान का पक्ष देखा जाए तो वह अब तक भगवान राम के होने और उनका राक्षसों का विनाश करने जैसी मान्यताओं को पूरी तरह नकारता ही प्रतीत होता है.
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भगवान राम के अस्तित्व को लेकर वैज्ञानिक और धार्मिक विशेषज्ञों में समय-समय पर मतभेद होते रहे हैं परंतु अब लगता है विज्ञान ने भी अयोध्या में राजा दशरथ के घर भगवान राम के जन्म लेने जैसी घटनाओं को अपनी स्वीकृति प्रदान कर दी है.
दिल्ली के इंस्टीट्यूट फॉर साइंटिफिक रिसर्च ऑन वेदाज (आइ-सर्व) के शोधकर्ताओं ने त्रेता युग में जन्म लेने वाले भगवान राम के जन्म की सटीक तिथि पता लगाने में सफलता हासिल की है. इतना ही नहीं संस्थान ने इसे वैज्ञानिक आधार प्रदान करने का भी दावा किया है. इस संस्थान की निदेशक डॉ. सरोज बाला ने यह दावा किया है कि उन्होंने अपने सहयोगियों और प्लैनेटेरियम सॉफ्टवेयर की सहायता के भगवान राम की जन्म की तारीख पता कर ली है जिससे उनके धरती पर जन्म लेने की पुष्टि हुई है.
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सरोज बाला के अनुसार प्रभु राम का जन्म 10 जनवरी, 5014 ईसा पूर्व अर्थात आज से सात हजार, 122 वर्ष पहले हुआ था. उनका जन्म चैत्र माह और शुक्ल पक्ष नवमीं के दिन हुआ था. इतना ही नहीं उनकी टीम ने भगवान राम के जन्म का समय भी खोज निकाला है जो दोपहर 12 से 2 बजे के बीच का था.
सरोज बाला का कहना है कि आगामी भविष्य में भी वे अन्य पौराणिक चरित्रों और घटनाओं की सत्यता और अस्तित्व के बारे में पता लगाएंगे. उल्लेखनीय है कि प्लैनेटेरियम सॉफ्टवेयर का प्रयोग नासा और नेहरू प्लैनेटेरियम द्वारा विभिन्न ग्रहों की स्थिति का पता लगाने के लिए किया जाता है.
आइ-सर्व के वैज्ञानिकों के अनुसार वह भगवान राम के जीवन में हुई महत्वपूर्ण घटनाओं जैसे उनका विवाह, वनवास, रावण-वध आदि के पीछे की सच्चाई का पता भी लगाने का प्रयास कर रहे हैं.
अब अगर भगवान राम के अस्तित्व को वैज्ञानिक तौर पर प्रमाणित कर दिया गया है तो बहुत हद तक मुमकिन है कि रामसेतु, जिसे पौराणिक कथाओं के अनुसार तो लंका तक पहुंचने के लिए भगवान राम और उनकी सेना द्वारा बनाया गया मार्ग माना जाता है और विज्ञान इसे मानव निर्मित ही नहीं मानता, को टूटने से बचाया जा सके. क्योंकि अभी तक तो इसे सेतु समुद्रम प्रोजेक्ट के तहत तोड़ने की योजना बनाई जा रही है.
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