गर्मी के मौसम में ठंडी-ठंडी कुल्फी मिल जाए तो बात ही क्या है. केसर, पिस्ता, रबड़ी, मलाई….वाह-वाह हमारे तो लिखते-लिखते ही मुंह में पानी आ गया. यूं तो कुल्फी आप घर पर भी बड़ी ही आसानी से जमा सकते हैं लेकिन अब जब ये बाजारों में आम मिलने लगी है तो हम कहां इतनी मशक्कत करते हैं इसे बनाने में. अरे नहीं, नहीं हम यहां आपको घर में कुल्फी बनाने की आसान विधि जैसा कुछ नहीं बताने जा रहे हैं हम तो आपको कुल्फी के उद्भव से जुड़ी एक मजेदार कहानी का हिस्सा बनाने जा रहे हैं जिसे जानकर आपको यह एहसास हो जाएगा कि कुल्फी हमारे लिए कितनी जरूरी है. इसके टेस्ट से जब बादशाह अकबर खुद को बचाकर नहीं रख पाए तो हम क्या चीज हैं. कुल्फी और बादशाह अकबर के बीच का रिश्ता बताने से पहले हम आपको ये बता देते हैं कि कुल्फी मूलत: फारसी शब्द ‘क़ुल्फी’ से बना है जिसका अर्थ है ‘कोन के आकार का कप’, और देखिए कुल्फी का आकार भी तो कुछ कुछ ऐसा ही होता है.
बादशाह अकबर के दरबार में अबुल फ़जल नाम का एक जीवनीकार था जिसने अपनी रचना में कुल्फी के प्रति बादशाह की दिलचस्पी को बड़ी ही सहजता से उकेरा है. आज से करीब 500 साल पहले लिखी गई आइन-ए-अकबरी में कुल्फी बनाने की विधि को शामिल किया गया है. अब आप सोच रहे होंगे कि जब अकबर के जमाने में फ्रिज या फ्रिज जैसी किसी चीज का नामोनिशान भी नहीं था तो कुल्फी जमाना मुमकिन कैसे हुआ?
तो चलिए रुबरू करवाते हैं हम आपको एक दिलचस्प और मजेदार कहानी से. आपको शायद ये नामुमकिन सा लगे लेकिन यह सच है कि अकबर के काल में कुल्फी जमाने के लिए हाथी, घोड़ों, नाव और पैदल सेना द्वारा करीब 500 मील दूर स्थित हिमालय पर्वत से सीधे बर्फ आगरा लाई जाती थी. रिले रेस का नाम तो आपने सुना ही होगा, बस ऐसे ही यह बर्फ हिमालय की बर्फीली चोटियों से आगरा के महल तक पहुंचाई जाती थी. हर 18 मील के अंतराल पर बादशाह अकबर के आदेशानुसार घुड़सवार सैन्य टुकड़ी को तैनात किया गया था जिसका काम हिमालय से आगरा तक बर्फ पहुंचाना था. करीब 30-40 दस्तों की सहायता से आगरा तक बर्फ पहुंचाई जाती थी जहां उसे पिघलने से बचाने के लिए संरक्षण गृह बनाया गया था.
इतना ही नहीं अगर आप ये सोचते हैं कि केमिकल का प्रयोग करना आज की जनरेशन की उपज है तो हम आपको बता दें कि कभी-कभी बर्फ जमाने के लिए सॉल्टपीटर नाम के केमिकल का भी प्रयोग किया जाता था. सॉल्टपीटर एक ऐसा केमिकल है जिसे अगर पर्याप्त मात्रा में पानी में मिलाया जाए तो यह पानी को जमा देता है.
मूलत: बर्फ जमाने की इस तकनीक को शर्बत जैसे गर्मी के लिए उपयोगी पेय पदार्थों को ठंडा करने के लिए विकसित किया गया था लेकिन जल्द ही इसका उपयोग बादशाह अकबर की बेगमों और स्वयं उनके लिए कुल्फी जमाने के लिए किया जाने लगा. देखते ही देखते अकबर काल की यह सबसे बड़ी उपलब्धियों में शामिल हो गई और साथ ही दुनिया को एक स्वादिष्ट डिजर्ट भी मिल गई.
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