फिल्में मनोरंजन का हिस्सा हैं लेकिन कई लोग ऐसे भी होते हैं जिनके लिए डरना मनोरंजन है. यह हम नहीं, डरावनी फिल्में पसंद करने वालों की भारी संख्या के साथ ही हॉरर फिल्मों की सफलता कहती है. अगर आप डर का अर्थ सिर्फ भूत-प्रेत ही लगाते हैं तो गलत है. इन फिल्मों में डर का अर्थ होता है क्रूर तरीके से किया गया मर्डर, खून, बलात्कार, हिंसा और भी बहुत कुछ होता है. हद से ज्यादा डरावनी ये फिल्में स्प्लैटर फिल्मों की श्रेणी में आती हैं.
यूं तो अभी तक आपने हॉरर फिल्मों में डरावनी से डरावनी चीजें देखी होंगी लेकिन जब बात स्प्लैटर फिल्मों की बात आती है तो डर और घृणा जैसी भावनाएं एक साथ मन में आती हैं. हालांकि दुनिया के किसी भी देश में सेंसर बोर्ड के अलावे इन दृश्यों के लिए कोई कानून नहीं है लेकिन कई बार ये फिल्में इस हद तक हिंसक और डरावनी हो जाती हैं कि इन पर बैन तक लगाने की नौबत आ जाती है. दुनियाभर की ऐसी ही डरावनी स्प्लैटर फिल्मों के बारे में हम आपको यहां बताने जा रहे हैं.
ग्रोटेस्क्यू: इस फिल्म पर कई देशों ने प्रतिबंध लगाया हुआ है. इसमें इंसानी अंगों को काटने-छीलने के वीभत्स दृश्य हैं. आंख निकालने और अंग-भंग करने जैसे दृश्यों से भरी इस फिल्म को देख पाना हर किसी के बस की बात नहीं और इसीलिए इए फिल्म को कई देशों में बैन किया गया है.
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मिकी: 1992 में रिलीज हुई इस फिल्म में एक 9 साल के बच्चे को अपने गोद लिए हुए मां-बाप, दोस्तों और कई लोगों को बेरहमी से टॉर्चर और मर्डर करते हुए दिखाया जाता है. यह फिल्म आज भी कई देशों में बैन है.
द ह्यूमन सेंटीपिडे 2: 2011 में रिलीज हुई थी. इसमें कनखजूरे आदमी द्वारा पहली पार्ट के मुकाबले बहुत ज्यादा हिंसक कत्ल-ए-आम के कारण इसे यूनाइटेड किंगडम में बैन कर दिया गया था.
स्कम: इसमें ब्रिटिश किशोर सुधार गृह में नस्लीय भेद, गैंग रेप, आत्महत्या और हिंसक घटनाओं को दिखाया गया था. 1970 में यह रिलीज हुई पर बैन कर दी गई. 1999 में इसकी रिमेक बनी और इसे क्रिटिक भी अच्छे मिले.
अ सर्बियन फिल्म: अपने समय में सबसे ज्यादा कंट्रोवर्शियल फिल्मों में रही. स्पेन, नॉर्वे और ब्राजील में बैन कर दी गई. फिल्म में सबके सामने बच्चों से छेड़खानी, रेप और हत्या के दृश्य फिल्माए गए थे.
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नैचुरल बॉर्न किलर्स: 1994 में रिलीज हुई थी. फिल्म को इसके क्रूर मर्डर दृश्यों के लिए आयरलैंड में बैन कर दिया गया और यूएसओ में ड्रिस्ट्रिब्यूशन के लिए भी मना कर दिया गया था.
द एविल डेड: 1981 में रिलीज हुई इस फिल्म को हिंसात्मक और डरावने दृश्यों के लिए फिनलैंड, जर्मनी, आइसलैंड और आयरलैंड समेत कई देशों ने बैन किया. फिल्म के एक दृश्य में एक डेविल पेड़ द्वारा एक महिला का बलात्कार करते दिखाया गया था जो सबसे ज्यादा कंट्रोवर्शियल रहा था.
कैनिबाल होलोकॉस्ट: आज के सबसे चर्चित हॉरर फिल्मों में है और कम से कम 50 देशों ने इसे बैन कर रखा है. फिल्म रिलीज के ठीक पहले डायरेक्टर रगेरो डियोडेटा को भी मर्डर के चार्ज में गिरफ्तार किया गया था. अमेजन वर्षावन में वहीं के जनजातियों को ही फिल्म शूट के लिए लिया गया था. इन जनजातियों को ढूंढ़ने गई क्रू दो महीनों तक गायब रही. फिल्म शूट के लिए कई जानवर भी मारे गए थे.
द टेक्सास चेनशॉ मैसकर: 1974 में रिलीज हुई, कई देशों ने बैन किया. कई सिनेमाघरों ने एक बार फिल्म दिखाने के बाद फिल्म के हिंसात्मक दृश्यों के लिए पब्लिक की शिकायत बताकर इसे दुबारा दिखाने से मना कर दिया. फिल्म एक सत्य घटना पर आधारित बताई गई थी.
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द एक्जॉर्सिस्ट: अब तक की सबसे ज्यादा डरावनी फिल्मों में मानी जाती है. फिल्म कितनी डरावनी होगी यह इसी से समझा जा सकता है कि थिएटर में फिल्म देख रहे कई दर्शक फिल्म के बीच में ही बेहोश हो गए और उन्हें डॉक्टरी इलाज की जरूरत पड़ गई. इसे भी दुनिया कई देशों ने बैन कर दिया था.
इन फिल्मों की खासियत थे उनके भयानक दृश्य जिसे देखकर किसी के भी रोंग़टे खड़े हो जाएं. आम लोगों के लिए ऐसी फिल्में देख पाना शायद किसी टॉर्चर से कम नहीं. हालांकि यह कोई नई बात नहीं, स्प्लैटर फिल्मों की एक लंबी कहानी है.
अन चेन अंडालो’: फिल्म के एक भयानक दृश्य में आंखों को चाकू से टुकड़ों में काटते दिखाया गया है और दृश्य एकदम असली लगें इसलिए इसमें गाय की असली आंखों को काटने के लिए प्रयोग किया गया था जिससे दृश्य एकदम असली लगे.
मैनिएक: इसमें एक बिल्ली को इंसान के दिल से खेलते हुए दिखाया गया है.
इन दी रेल्म ऑफ सेंसेस: 1976 में रिलीज हुई. फिल्म में आदमियों के गुप्तांगों को काटते हुए दिखाया गया है. इस तरह के दृश्यों के कारण कई बार ऐसी फिल्मों को आधी पॉर्न फिल्म की श्रेणी में भी रखा जाता है.
इनके अलावे भी ‘दी रेड एसफाल्ट, संजुरो, लेडी स्नोब्लड एंड लोन वॉल्फ कब सीरीज, ब्लड फीस्टआदि कई फिल्में हैं जिनके मर्डर दृश्य देखकर आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे. इनमें कई फिल्में जॉंबीज पर, कई भूत प्रेतों पर तो कोई सीरियल किलर, हिंसक मानसिक रोगियों पर बनी है.
हालांकि कुछ ऐसे भी लोग हैं जो इन फिल्मों को बेहद पसंद करते हैं. उनके लिए पर्दे पर मौत और खून को देखना एक अलग रोमांच पैदा करता है. लेकिन यह सब किसी भी लिहाज से समाज के लिए एक अच्छा संकेत नहीं माना जाता क्यूंकि जो तस्वीरें हम देखते हैं वह हमारे दिमाग में कहीं ना कहीं बैठ जाती हैं और उनका असर काफी गहरा होता है.
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