कनाडा के कुछ भागों में विशेष रूप से ‘हडसन खाड़ी’ के आस-पास के क्षेत्र में गुरुत्वाकर्षण की क्षमता विश्व के अन्य स्थानों की अपेक्षा कम है, जिसके कारण को जानने के लिये वैज्ञानिक पिछले 50 वर्षों से निरंतर प्रयोग कर रहे हैं.
1960 में जब पृथ्वी के समस्त क्षेत्रों की गुरुत्वाकर्षण क्षमता का निर्धारण किया जा रहा था तभी वैज्ञानिकों ने पाया कि हडसन के नजदीकी इलाकों का गुरुत्वाकर्षण बल अन्य स्थानों की तुलना में बहुत कम है. इस भिन्नता को जानने से पहले गुरुत्वाकर्षण बल को जानना जरूरी होगा.
साधारण शब्दों में आकर्षण बल द्रव्यमान अथवा भार पर निर्भर करता है. इस सिद्धान्त अनुसार किसी स्थान का कम द्रव्यमान उसके बल में भी कमी का कारण होता है. इस प्रकार भिन्न स्थानों का गुरुत्वाकर्षण बल भी अलग-अलग होता है.
इस अनियमितता के लिए वैज्ञानिकों ने मुख्य रूप से दो कारणों को उत्तरदायी मानते है. पृथ्वी दिखने में एक बॉल जैसे होती है जो भूमध्य रेखा के आस पास उभरी हुई होती है और धुरी पर घूमने के कारण ध्रुवों की सतह चपटी होती है इस कारण पृथ्वी की बनावट में भिन्नता के कारण उसके द्रव्यमान में असमानता होती है जो समय समय पर परिवर्तित होती रहती है.
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यह प्रतिक्रिया संवहन (Convection) क्रिया के नाम से जानी जाती है जो पृथ्वी के आवरण पर निर्भर करती है. यह आवरण मॉल्टेन रॉक की लेयर होती है जिसको मैग्मा कहते हैं जो पृथ्वी की सतह के भीतर पायी जाती है जो एक जगह से दूसरी जगह घूमती रहती है कभी ऊपर उठती है कभी नीचे गिरती है जिसके कारण संवहन धारा का प्रवाह होता है और यह संवहन पृथ्वी के द्रव्यमान को कम करता और साथ ही गुरुत्वाकर्षण बल भी कम हो जाता है.
दूसरे सिद्धान्त के अनुसार ‘लौरेंटाइड आइस लेयर’ उत्तरी यूनाइटेड स्टेट के साथ कनाडा के अनेक स्थानों को ढके हुए है जो लगभग 3. 2 किलोमीटर तक मोटी होती है जो पृथ्वी पर दबाव बढ़ा देती है जिसके कारण हडसन क्षेत्रों के गुरुत्वाकर्षण बल में कमी आ जाती है. इस कमी के कारण कई बार लोग पृथ्वी की सतह से कई फ़ीट ऊँचाई तक हवा में उड़ने का अनुभव भी करते हैं. हालांकि इस पर अभी तक कोई ठोस प्रमाण नहीं है…Next
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