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भारत का पहला मिसाइलमैन पहनता था ‘राम’ नाम की अंगूठी !

टीपू सुल्तान को लेकर सियासत कितनी गरमाई हुई है ये बात किसी से छुपी हुई नहीं है. आलम ये है कि जो लोग कुछ दिनों पहले टीपू सुल्तान के बारे में कुछ जानते तक नहीं थे. वो आज उनके बारे में जानकारी जुटाने में लगे हुए हैं. आपके मन में भी टीपू सुल्तान से जुड़े हुए सवाल रह-रहकर उठते होंगे. आइए हम आपको बताते हैं टीपू सुल्तान से जुड़ी हुई कुछ दिलचस्प बातें. टीपू सुल्तान का जन्म 20 नवम्बर 1750 को कर्नाटक के देवनाहल्ली हुआ था. उनका पूरा नाम सुल्तान फतेह अली खान शाहाब था. उनके पिता का नाम हैदर अली और माता का नाम फ़क़रुन्निसा था. उनके पिता मैसूर साम्राज्य के एक सैनिक थे. जो अपनी ताकत से 1761 मे मैसूर साम्राज्य के शासक बने.


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टीपू को मैसूर के शेर के रूप में जाना जाता है. योग्य शासक के अलावा टीपू एक विद्वान, कुशल सैनिक और कवि भी थे. कहते हैं टीपू सुल्तान उन दिनों तकनीक से बेहद प्रभावित थे. नए-2 अविष्कारों और वैज्ञानिकों के प्रति उनके मन में विशेष प्रकार का आदर भाव था. भारत के मिसाइल प्रोजेक्ट के जनक एपीजे अब्दुल कलाम ने अपनी किताब ‘विंग्स ऑफ़ फ़ायर’ में लिखा है कि उन्होंने नासा के एक सेंटर में टीपू की सेना की रॉकेट वाली पेंटिग देखी थी. लंदन के मशहूर साइंस म्यूज़ियम में टीपू के कुछ रॉकेट आज भी देखे जा सकते हैं. ये उन रॉकेट में से थे जिन्हें अंग्रेज़ अपने साथ 18वीं सदी के अंत में ले गए थे. इसके बारे में कलाम लिखते हैं, ‘मुझे ये लगा कि धरती के दूसरे सिरे पर युद्ध में सबसे पहले इस्तेमाल हुए रॉकेट और उनका इस्तेमाल करने वाले सुल्तान की दूरदृष्टि का जश्न मनाया जा रहा था. वहीं हमारे देश में लोग ये बात या तो जानते नहीं या उसको तवज्जो नहीं देते.’


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वहीं दूसरी तरफ आज बेशक इस बात पर बहस छिड़ी हो कि टीपू सुल्तान सांप्रदायिक थे या नहीं. लेकिन ऐसा कहा जाता है कि वो भगवान राम के व्यक्तित्व से खासे प्रभावित थे. वहीं दूसरी तरफ राम नाम अंकित एक नायाब अंगूठी को लेकर एक और विवाद सामने आता दिख रहा है. पिछले दिनों टीपू सुल्तान की सोने की अंगूठी लंदन में नीलाम कर दी गई जिस पर ‘राम’ लिखा था. क्रिस्टीज़ नीलामी घर ने सोने की इस अंगूठी को एक लाख 45 हजार पाउंड में बेचा. मुसलमान राजा टीपू सुल्तान की ये अंगूठी खास इसलिए है कि क्योंकि इस पर राम का नाम लिखा है.


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टीपू सुल्तान को भारत में ब्रिटिश शासन से लोहा लेने के लिए जाना जाता है. माना जाता है कि उनकी मौत के बाद एक ब्रिटिश जनरल ने ये अंगूठी उनके शव से निकाल ली थी.क्रिस्टी की वेबसाइट के अनुसार, 41 ग्राम की ये अंगूठी अनुमानित मूल्य से दस गुना ज्यादा कीमत पर सेंट्रल लंदन में नीलाम की गई. इसके खरीददार की पहचान उजागर नहीं की गई. आरोप है कि ये अंगूठी उनके मृत शरीर से तब निकाली गई थी, जब वे 1799 में श्रीरंगापट्टनम की लड़ाई में ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना के हाथों मारे गए थे. हैरानी की बात है कि एक महान मुस्लिम योद्धा राजा हिन्दू भगवान के नाम की अंगूठी पहनता था. हालांकि इस बात का कोई पुख्ता प्रमाण अभी तक नहीं मिला है…Next

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