अब तक आपने मछली, बकरे और कभी-कभार गाय या भैंसे का भेजा खाते हुए लोगों को देखा और सुना होगा लेकिन क्या कभी आप सोच सकते हैं कि कोई बंदर का भेजा खाता है. याक… बंदर का भेजा.. यकीनन नहीं, लेकिन असलियत तो यह है कि दुनिया में ऐसी कोई चीज नहीं है जिसे लोग खाना पसंद नहीं करते. बंदर तो बंदर लोग तो इंसान को भी खाने से नहीं कतराते. लेकिन किसी को मार कर खाना तो समझ में आता है लेकि जिंदा बंदर का भेजा खाने का स्टाइल… सोच कर भी उलटियां आती हैं.
लेकिन यह सच है कि चीन, इंडोनोशिया सहित अन्य कुछ देशों में बंदर के दिमाग को खाने की परंपरा है. वहां लोगों की मान्यता है कि बंदर के ब्रेन को खाने से नपुंसकता नहीं आती है. यहां यह बात गौर करने की है कि यह एक परंपरा है यानि लोग दिमागी रूप से असक्षम या पागल होने पर नहीं बल्कि पूरे होशो-हवाश में बंदर के दिमाग को खा जाते हैं. यहां बंदर का दिमाग खाने के तीन तरीके हैं पहला लोग उसके दिमाग को पका कर खाते हैं, दूसरा कच्चा ही खा जाना और तीसरा तरीका तो सबसे क्रूर है यानि खाने के टेबल पर जिंदा बंदर के सर को हथौड़े से तोड़ा जाता है. वहीं उसके ब्रेन को चम्मच से निकालकर खाया जाता है.
ऐसा नहीं है कि बंदर का दिमाग खाने वाले अनपढ़ या गंवार होते थे हैं बल्कि यह काम कई शिक्षित लोग भी करते थे हैं. बाकायदा होटल और रेस्तरा में इसे एक मीनू के रूप में भी पेश किया जाता था. हालांकि इसकी वजह से इन देशों में बंदरों की संख्या में जबरदस्त गिरावट आई जिसके बाद इस पर प्रतिबंध लगा दिया गया.
नपुंसकता तो बहाना है!
खुद को नपुंसकता से बचाने के लिए बेजुबान जानवरों को जिंदा खा जाना ना जाने कैसे परंपरा में शामिल हो गया. दरअसल यह कोई परंपरा या संस्कृति नहीं होती बल्कि यह तो उन लोगों के टोटके होते हैं जो बंदरों को खरीदने और बेचने का काम करते हैं. आज बाजार में ऐसी कई चीजें हैं जिन्हें आदमी सिर्फ वहम की वजह से खरीदता है. आज अगर आप मिट्टी को भी सोना बता कर लोगों को बेचेंगे तो वह उसके लिए भी बोली लगा देंगे. इंसान की आंखों पर अंधविश्वास की जो पट्टी बंधी है उसे खोल पाना बेहद मुश्किल है. आगे भी दुनिया के विभिन्न अच्छे-बुरे रूपों से हमारा इंफोटेनमेंट ब्लॉग हमेशा आपको रूबरू करता रहेगा.
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