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आखिर क्यों आइंस्टीन के दिमाग के 200 टुकड़े कर दिए गए थे, जानिए एक बेहद रोचक सत्य

अल्बर्ट आइंस्टीन पैदा हुए तो सामान्य बच्चों की तुलना में उनका सिर असामान्य रूप से बड़ा था. उस जमाने में मेडिकल साइंस इतना डेवलप नहीं था कि इस बड़े सिर का कारण जाना जा सकता. बड़े होते आइंस्टीन के साथ परिस्थितियां कुछ ऐसी थीं कि उन्हें असामान्य या शायद एबनॉर्मल बच्चा समझा जाने लगा. शायद तब उनके मां-बाप को इसका कारण आइंस्टीन का सिर बड़ा होना ही लगता होगा. पर बाद में (आइंस्टीन के मरने के बाद) पता चला कि उनका सिर ‘इंसानों की प्रजाति’ में एक अजूबा सिर था.


Albert Einstein



आइंस्टीन शर्मीले बच्चों में थे. बहुत बड़ी उम्र तक वे बोलते भी नहीं थे. उनके मां-बाप उनके न बोलने से बहुत परेशान थे. 4 साल की उम्र में उन्होंने पहली बार बोलना सीखा लेकिन तब भी बहुत साफ नहीं बोलते थे. आधा-अधूरा बोलते और अक्सर चुप ही रहते. 9 साल की उम्र से उन्होंने बोलना शुरू किया जिसका किस्सा बड़ा दिलचस्प है. बात खाने के समय की है. डायनिंग टेबल पर डिनर के लिए वे अपनी मां और पिता के साथ बैठे थे. अचानक उन्होंने बोला ‘सूप बहुत गर्म है’. उनके मां-बाप यह सुनकर खुश बाद में हुए लेकिन पहले उनकी इस साफ आवाज पर चौंक गए. उन्होंने उनसे पूछा कि अब तक वे बोलते क्यों नहीं थे तो आइंस्टीन का जवाब था ‘अब तक तो सब कुछ सही था’.


Child Albert Einstein


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आइंस्टीन खुद भी मजाकिया थे और उनकी कई आदतें भी हंसाने वाली थीं. वे मोजे नहीं पहनते थे क्योंकि उनके मोजों में छेद हो जाया करते थे. एक और कारण यह भी था कि उनका मानना था अगर एक से काम हो रहा है तो दो पहनने की क्या जरूरत है. कई फॉर्मल डिनर पार्टीज में वे ऐसे ही बिना मोजे पहने चले जाते थे. एक बार ऑक्सफोर्ड में लेक्चर के लिए भी वे ऐसे ही चले गए लेकिन स्टूडेंट्स का ध्यान उनके मोजों से ज्यादा उनके बड़े बालों पर होता था. आइंस्टीन को बाल कटवाना बिल्कुल पसंद नहीं था और उनके लंबे बाल देखकर कोई भी इसका अंदाजा लगा सकता है. इतने बड़े गणितज्ञ होकर भी वे खराब याददाश्त के इंसान माने जाते थे. नाम, तारीख और फोन नंबर उन्हें याद नहीं रहते थे. जानने वालों को यह सुनकर आश्चर्य होता है.


Albert Einsteine in Fun Mood


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यह सभी जानते हैं कि स्कूल लाइफ में आइंस्टीन को बेवकूफ बच्चों में गिना जाता था. खासकर आइंस्टीन के टीचर उन्हें बिल्कुल पसंद नहीं करते थे क्योंकि वह गणित और विज्ञान के अलावे हर विषय में फेल हो जाया करते थे. और तो और टीचर की डांट का भी उन पर कोई असर नहीं पड़ता था. एक बार उनके गणित के प्रोफेसर ने उन्हें आलसी कुत्ता तक कह डाला. कहते हैं बचपन में वे गणित में भी कमजोर थे और टीचर ने उन्हें गणित पढ़ाने से मना कर दिया था. तब उनकी मां ने उन्हें घर पर पढ़ाना शुरू किया और उनमें गणित के लिए ऐसी रुचि जगी कि महान गणितज्ञ ही बन गए.


Young Albert Einstein




आइंस्टीन के मरने के बाद पैथोलोजिस्ट डॉ. थॉमस स्टोल्ट्ज हार्वे ने उनके परिवार की सहमति के बिना ही उनका दिमाग उनकी खोपड़ी से अलग निकाल लिया था. हॉस्पिटल के लाख मनाने के बावजूद इसे नहीं लौटाया और 20 सालों तक इसे ऐसे ही रखा. 20 सालों बाद आइंस्टीन के बेटे हैंस अल्बर्ट की अनुमति के बाद उन्होंने उस पर अध्ययन करना शुरू किया. जानकर हैरानी होगी लेकिन आइंस्टीन के दिमाग के 200 टुकड़े कर थॉमस ने उसे अलग-अलग वैज्ञानिकों को भेजा गया था. उन्हें इसके लिए हॉस्पिटल से निकाल भी दिया गया था लेकिन इसी अध्ययन में पता चला कि साधारण लोगों के दिमाग की तुलना में आइंस्टीन के दिमाग में एक असाधारण सेल संरचना थी. इसी कारण आइंस्टीन का दिमाग बहुत असाधारण सोचता था. आइंस्टीन की आंखें तक एक बॉक में सुरक्षित रखी गई हैं.


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