कल्पना कीजिए आप रास्ते में चलते जा रहे हैं कि तभी अचानक आपको रास्ते में 500 का नोट गिरा हुआ दिखाई देता है. साथ ही दूर-दूर तक कोई दूसरा व्यक्ति नहीं खड़ा है, जिससे आप कुछ पूछ सकें. तो जाहिर-सी बात है कि आप उस नोट को उठाकर जेब में डाल लेंगे. ये तो हुई आज के समय की कहानी. लेकिन अगर कोई आपसे कहे कि एक समय ऐसा भी था जब लोग कागज के नोटों को ठिकाने लगाने के लिए पैसों को सूटकेस में भरकर चोरी से अपने पड़ोसियों के घर रख आया करते थे, तो आप इसे मजाक समझेंगे. आपका ऐसा सोचना लाजिमी भी है. लेकिन जर्मनी में 1923-1924 के दौरान हुई मुद्रास्फीति ने कुछ ऐसे हालात पैदा कर दिए थे.
जो उस समय में लोगों के लिए भले ही एक एक बड़ी मुसीबत हो लेकिन आज उन बातों को सुनते ही लोगों के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है. 1923 में वीमर देश जो आज जर्मनी के नाम से जाना जाता है, का विघटन होना शुरू हो गया था. जर्मनी के विघटन के साथ ही, एक नाटकीय घटनाक्रम की भी शुरुआत हुई, जिसे जर्मनी की हाइपर इंफ्लेशन के नाम से जाना जाता है. इस दौरान वस्तुओं के उत्पादन में तेजी से गिरावट आई जिस वजह से लोगों के पास वस्तुओं की कमी और पैसों की अधिकता हो गई.
उन दिनों जर्मनी में कागज के नोटों की संख्या इतनी ज्यादा बढ़ गई थी कि कई इलाकों में सड़कों पर कागज के नोट बिखेरे होना आम बात मानी जाती थी. साथ ही कुछ लोग घर को साफ रखने के लिए नोटों को नालियों में बहा रहे थे. इसके अलावा भी ऐसी रोचक बातें थी जिनके बारे में जानकर आप हैरान रह जाएंगे. आइए हम आपको बताते हैं कुछ ऐसे ही दिलचस्प पहलू उन दिनों कागज के नोटों से पीछा छुड़ाने के लिए मिल मालिक मजदूरों के साप्ताहिक वेतन को दैनिक वेतन के आधार पर देने लगे. मजदूरों को अपने दैनिक वेतन को लेने के लिए सूटकेस लेकर आना पड़ता था.
Read: जानिए हिटलर ने कैसे निकाला था स्विस बैंकों में जमा अपने देश का कालाधन
एक रोचक किस्से के अनुसार एक व्यक्ति का नोटों से भरा हुआ सूटकेस स्टेशन पर छूट गया था. जब वो व्यक्ति सूटकेस लेने के लिए वापस उस जगह पर आया तो उसे सूटकेस के नोट वहीं पड़े मिले जबकि सूटकेस गायब था. इसी तरह एक लड़का फुटबॉल मैच को छोड़कर डबल रोटी ( ब्रेड) खरीदने के लिए गया. क्योंकि उसे किसी ने बताया था कि वहां पर ब्रेड उचित दामों में मिल रही है जबकि वहां पहुंचने पर उसे खाली हाथ लौटना पड़ा, क्योंकि वस्तुओं की कमी और पैसों की अधिकता के चलते ब्रेड की नीलामी शुरू हो गई थी.
इस दौरान लोगों ने अपनी पुरानी दुश्मनी का बदला भी जमकर लिया. उन्होंने पैसे का लालच नहीं बल्कि कीमती और खाने-पीने की वस्तुओं को देकर अपने दुश्मनों को मारने की डील की थी. जर्मन करेंसी को बैकों में रखने वाले लोगों को कोई फायदा नहीं मिल पाया क्योंकि जर्मन करेंसी अपना मूल्य खो चुकी थी. जिन लोगों ने बैंक से लोन लिया था उनके लिए लोन चुकाना किसी पेन खरीदने जितना आसान हो गया…Next
Read more:
Read Comments