यूनाइटेड किंगडम में एक टीम हृदय गति रूकने के शिकार हुए रोगियों पर पिछले चार वर्षों से एक शोध कर रही थी. इस शोध का विषय यह था कि क्या मौत के बाद भी ज़िंदगी चलती रहती है.इस शोध में हृदय गति रूकने के समय रोगियों के अनुभवों का विश्लेषण किया गया. इसमें 40 प्रतिशत रोगियों ने चिकित्सीय दृष्टिकोण से उन्हें मृत घोषित किए जाने के बाद भी उनमें चेतना रहने की बात स्वीकारी है.
अब तक विशेषज्ञों की यह मान्यता थी कि हृदय गति रूक जाने के 20 से 30 सेकेंड के बाद इंसान का दिमाग कार्य करना बंद कर देता है. इसलिए मौत के बाद चेतना का होना असम्भव है.इस नए शोध में यह दावा किया गया है कि एक रोगी की हृदयगति रूकने के समय जब वो ज़िंदगी और मौत से जूझ रहा था तब उसको बचाने के लिए जो भी उपाय किए जा रहे थे उसे वो अच्छी तरह याद है. बचाए जाने के बाद उसने खुद वो बातें बताई जो उसने मौत से जूझने के दौरान महसूस की.
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साउथैम्पटन विश्वविद्यालय में शोधार्थी और इस शोध का नेतृत्व करने वाले डॉक्टर सैम पामिया कहते हैं कि अधिकतर रोगियों द्वारा वर्णित अनुभव भ्रामक व कल्पना से प्रेरित थे. परंतु एक रोगी ने उस समय उसके आसपास चल रही गतिविधियों का एकदम सटीक वर्णन किया है.
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उन्होंने आगे कहा कि हम जानते हैं कि हृदय गति रूक जाने के बाद दिमाग काम करना बंद कर देता है लेकिन इस मामले में करीब 3 मिनट तक रोगी को सबकुछ याद रहा जो आश्चर्यजनक है. उस कक्ष में जो भी हुआ वह उसे पूरी तरह याद है. उसे मशीन की बीप दो बार सुनाई दी जिसके बजने का अंतराल तीन मिनट का है. इससे हम इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि उसे तीन मिनट तक की सारी गतिविधियाँ सही से याद थी.डॉक्टर पैम ने यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राज्य अमेरिका और ऑस्ट्रिया के 15 अस्पतालों के 2,060 रोगियों पर यह शोध किया है.
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