हिन्दुस्तान अपने वीर सपूतों की बदौलत पाकिस्तान के खिलाफ 1971 का जंग जीता पाया. पाकिस्तान की हार ने उसे दुनिया के नक़्शे पर हमेशा के लिए बदलकर रख दिया. यह लड़ाई बांग्लादेश (तब का पूर्वी पाकिस्तान) में लाखों निर्दोष नागरिकों को पश्चिमी पाकिस्तान के दमनकारी नीति से मुक्ति के लिए लड़ी जा रही थी. इस जंग में हिन्दुस्तान को पूर्वी पाकिस्तान के “बांग्ला विद्रोहियों” (मुक्ति वाहिनी) का समर्थन प्राप्त था. मुक्ति वाहिनी के समर्थन से लक्ष्य आसान हो गया और भारतीय सैनिकों ने एक के बाद एक पूर्वी पाकिस्तानी पोस्ट पर कब्ज़ा कर लिया था. यह देख पाकिस्तान ने हिन्दुस्तान के पश्चिमी सीमा पर भी मोर्चा खोल दिया. लेकिन मेजर ‘कुलदीप सिंह चांदपुरी’ ने अपने वीरता का ऐसा प्रमाण दिया कि उनकी वीर गाथा इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए दर्ज हो गई.
पूर्वी पाकिस्तानी की सीमा पर भारत के साथ युद्ध को देखकर पाकिस्तानी राष्ट्रपति याह्या खान को लगा की भारत का पूरा ध्यान पूर्व की ओर है. पाकिस्तान ने भारत के पश्चिमी सीमा लोंगेवाला पोस्ट (जैसलमेर) की ओर अपना मोर्चा खोल दिया. लोंगेवाला पोस्ट थार रेगिस्तान में भारतीय सीमा के 15 किलोमीटर अन्दर मौजूद है. उस समय इस पोस्ट की निगरानी 23 पंजाब रेजीमेंट के मेजर ‘कुलदीप सिंह चांदपुरी’ कर रहे थे.
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4 दिसंबर 1971 की रात ड्यूटी पर तैनात कैप्टन धर्मवीर ने खबर दी कि पाकिस्तान की ओर से भारी फौज उनकी पोस्ट की ओर आ रही है. यह पाकिस्तानी ब्रिगेडियर तारिक मीर की ब्रिगेड थी. कैप्टन धर्मवीर से सूचना पाकर मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी ने और यूनिट भेजने को कहा साथ ही अपने 120 जवानों के साथ हजारों पाकिस्तानी सैनिकों के सामने डट गए.
रात की वजह से भारतीय वायुसेना लोंगेवाला पोस्ट पर लड़ रहे भारतीय थल सैनिकों की मदद नहीं कर सकी. मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी 120 भारतीय सैनिकों के साथ हजारों पाकिस्तानी सैनिकों से रात भर लोहा लेते रहे. चांदपुरी रातभर अपने सैनिकों में जोश भरते रहे ताकि वह दुश्मन का मुकाबला करने में हिम्मत न हारें. वह एक बंकर से दूसरे बंकर तक जाकर अपने सैनिकों का उत्साह बढ़ाते रहे. सुबह होते ही वायुसेना के हंटर लड़ाकू जहाजों ने हमला शुरू कर दिया. दिनभर लड़ाकू हंटर ने अपने अचूक निशाने से पाकिस्तानी टैंकों को नेस्तनाबूद कर दिया.
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मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी और उनके 120 जांबाज सैनिकों के साथ वायुसेना ने पाकिस्तानी सैनिकों के मंसूबों पर पानी फेर दिया. भारत इस मोर्चे पर आसानी से जीत हासिल कर चूका था. पाकिस्तानी ब्रिगेडियर तारिक मीर भारतीय थल सेना और वायु सेना के जवाबी करवाई के सामने रामगढ़ घूटने टेक दिया था. इस बहादुरी के लिए भारत के वीर सपूत मेजर ‘कुलदीप सिंह चांदपुरी’ को महावीर चक्र से नवाजा गया. आज मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी अपने परिवार के साथ चंडीगढ़ में रह रहे हैं.
“बॉर्डर” नाम से फिल्म बनाया. फिल्म बॉर्डर में जे. पी. दत्ता ने पुरे युद्ध के घटनाक्रम को पारिवारिक संवेदना, मधुर एवं कर्णप्रिय संगीत के साथ फिल्माया था.
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