किसी गाँव में एक मास्टरजी अपने विद्यार्थियों के नटखटपन से परेशान होकर कह रहे थे कि मैंने गधे को भी इंसान बनाया है फिर तुम लोग किस खेत के मूली हो. मास्टरजी का यह कथन राह चल रहे एक धोबी ने सुन लिया और अगले ही दिन अपने गधे को इंसान बनाने की खातिर मास्टरजी के पास ले आया. अब मास्टरजी ने उस गधे को इंसान बनाया या नहीं. यह तो मास्टरजी, धोबी और बेचारा गधा ही जानें, लेकिन चीन में शरारती बंदरों को इंसान बनाने की पूरी कोशिश की जा रही है.
हिन्दुस्तान में आज भी बच्चें आधुनिक स्कूल में पढ़ने को मोहताज हैं लेकिन चीन में इन बंदरों को तो देखिए, किस तरह से डिजिटल क्लासरूम में टाई पहन कर बैठे हैं. जी हाँ, बंदरों का यह स्कूल चीन में है. इस स्कूल को 24 सितंबर 2015 को चीन के शेडोंग प्रांत में खोला गया है. इस स्कूल में 30 जापानी मकाक (बंदरों का एक प्रजाति) हैं जिसे सामान्य व्यवहार के साथ संगीत और अन्य कार्यकलापों की भी ट्रेनिग दी जा रही है.
इस तस्वीर में कुछ बंदर पढ़ाई को लेकर अपनी गंभीरता दिखा रहे हैं लेकिन वहीं कुछ शम्मी कपूर के स्टाइल में मस्ती के मूड में दिख रहे हैं.
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बन्दर के हाथ में नारियक भलेही न रहता हो, लेकिन नीचे इस तस्वीर में तरह-तरह के वाद्ययंत्रों के साथ इन बंदरों को देख सकते हैं.
ऐसा नहीं है कि गलती पर सजा केवल स्कूली बच्चों को ही मिलती है. इस तस्वीर को देखने से लगता है कि इस बन्दर ने जरूर होमवर्क नहीं किया होगा और टीचर ने इसे सजा के रूप में बेंच पर खड़ा कर दिया है.
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इस तस्वीर में टीचर अपने स्टूडेंट को डंडे लेकर पढ़ा रही है लेकिन छात्र है कि डंडे से डरने को तैयार ही नहीं है.
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