कुदरत का करिश्मा कहीं भी, कभी भी देखने को मिल सकता है. जब भी कुछ साधारण से अलग होता है तो उसे ईश्वर का चमत्कार मान लिया जाता है. वैसे भी कहा जाता है कि ‘जो समझ नहीं आता, वह भगवान है’. भारत में ऐसे कई चमत्कारों के विषय में आपने सुना होगा लेकिन विदेशों में भी कम चमत्कार नहीं होते. सूखे में इंद्र की पूजा से बारिश होने और रेगिस्तान में अचानक निकल आए पानी के सैलाब जैसे चमत्कारों के विषय में शायद आपने पढ़ा-सुना हो लेकिन वास्तविकता में शायद ही कभी देखा हो. पर इस रेगिस्तान में जिन्हें यह चमत्कार देखने को मिला वे इसे एक त्रासदी मान रहे हैं. हमेशा 40 डिग्री तापमान के रहने वाले इस रेगिस्तानी इलाके में जब अचानक यह पानी का तालाब उभर आया तो लोगों के आश्चर्य की सीमा नहीं थी लेकिन अचानक लोगों के लिए यह अभिशाप साबित हो गया. यह रहस्यमय तालाब आम लोगों में खौफ और हर किसी के लिए एक रहस्य बन गया है.
उत्तरी अफ्रीका में रेगिस्तानी इलाके ‘ट्यूनिशिया’ में ‘बीच’! सुनकर थोड़ा अटपटा लग सकता है पर यह सौ फीसदी सच्ची खबर है और स्थानीय लोगों ने इसे ‘गाफ्सा बीच’ का नाम दिया है. ऐसा भी नहीं है कि दुनिया के मानचित्र पर रेगिस्तान में ‘बीच’ रखने वाले किसी अनोखी जगह के रूप में यह दर्ज हो बल्कि हैरानी की बात यह है कि इस मरुस्थल में यह ‘बीच’ मात्र 3 सप्ताह पुरानी है. इससे पहले इस जगह पर इसका कोई नाम-ओ-निशान नहीं था.
‘ट्यूनेशिया’ में रेगिस्तान के ठीक बीचों बीच लगभग 2.6 एकड़ की बड़ी जगह में, 50 फीट गहराई के साथ अचानक निकल आया यह तालाब विशेषज्ञों के लिए भी हैरानी का विषय है. अधिकारी इस पानी का स्त्रोत जानने की कोशिश में लगे हैं लेकिन अब तक इसका पता नहीं चल सका है. वैज्ञानिक अनुमान लगा रहे हैं कि भूकंप या किसी अन्य कारण से किसी चट्टान में दरार आ जाने से वह अपनी जमीनी जगह से हट गया होगा और उसके नीचे जल स्त्रोत होने के कारण वह पानी बाहर निकल आया होगा जिससे ‘गाफ्सा बीच’ का निर्माण हुआ.
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रेगिस्तानी इलाके में पानी का इतना बड़ा तालाब स्थानीय लोगों के लिए खुशी का सबब हो सकता है लेकिन यहां के लोगों के लिए यह भय का कारण बन गया है इसका कारण है ट्यूनिशिया की जमीन में फॉस्फेट का बड़ी मात्रा में होना. ट्यूनिशिया, केमिकल्स के क्षेत्र में विश्व का सबसे बड़ा निर्यातक है और फॉस्फेट का सबसे बड़ा स्त्रोत भी. जब बीच बना था तो इसका रंग ताजे झील के पानी की तरह नीला था और लोगों ने इसमें स्नान, तैराकी आदि का भी मजा लिया लेकिन थोड़े ही दिनों में पानी का रंग हरा होने लगा. आज इसमें शैवाल के पानी की तरह हरे रंग का पानी है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि पानी के रंग में यह बदलाव फॉस्फेट के कारण हो सकता है. उन्होंने पानी में रेडिएशन की संभावना बताकर अब स्थानीय लोगों को इससे दूर रहने की सलाह दी है लेकिन जो लोग शुरुआत में ही इस पानी का उपयोग कर चुके हैं उनके बीमार पड़ने की संभावना से लोग डरे हुए हैं. इसलिए रेगिस्तान में खुशी का यह कारण खौफ में बदल गया है. डायरेक्टर ऑफ पब्लिक सेफ्टी के अनुसार जब तक पानी के विषय में सारी जानकारी नहीं मिल जाती, लोगों की सुरक्षा के लिहाज से वार्निंग दी गई है. फिर भी लोग सप्ताह के अंत में इस बीच पर आते और एंजॉय करते हैं. लोग इसकी फोटोज और वीडियोज फेसबुक, ट्विटर जैसी सोशल साइट्स पर भी शेयर कर रहे हैं. ‘गाफ्सा बीच’ का अपना फेसबुक पेज भी है.
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