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क्यों सभी धर्मोंं में जलाया जाता है अगरबत्ती और कपूर…जानिए क्या है इसका रहस्य

प्रचीनकाल से अगरबत्ती का उपयोग दुनियाभर के लोग करते आये हैं. अगरबत्ती का विकास उन सुगंधित लकड़ियों से हुआ होगा जिन्हें सभ्यता के शुरुआती दिनों में मनुष्य जलाया करते होंगे. जैसे-जैसे मानव सभ्यता का विकास हुआ और मनुष्य धार्मिक होता गया अगरबत्ती और कपूर जैसे सुगंधित वस्तुओं का उसके दैनिक कर्मकाण्ड में भूमिका बढ़ती गई.




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अगरबत्ती के प्रयोग के प्रमाण विश्व के सभी धर्मग्रंथों में मिलता है जिसमें पुराने नियम, वेद और अन्य प्रचीन ग्रंथ शामिल हैं. अगरबत्ती का प्रयोग अलग-अलग पूजास्थलों पर किया जाता है जिसमें मंदिर, मस्जिद, चर्च, मठ आदि शामिल हैं. चीन, जापान, भारत और मिस्त्र जैसे देशों में लंबे समय से अगरबत्ती का प्रयोग होता आया है. प्रश्न यह उठता है कि क्या अगरबत्ती के प्रयोग के पीछे कोई वैज्ञानिक कारण भी है?


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अगर सांस्कृतिक मान्यताओ की बात करें तो अगरबत्ती जलाने से वायु शुद्ध होती है. इसका पवित्र धुंआ नकारात्मक उर्जा और बुरी शक्तियों को घर मे प्रवेश करने से रोकता है. इससे वातावरण में ताजगी भरती है जिससे भक्त के मन को शांति मिलती है. शांत और शुद्ध वातावरण से उपासक को ध्यान में प्रवेश करने में मदद मिलती है.




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अगरबत्ती में वाष्पशील तेलों का प्रयोग होता है जिनके गंधों को हवा मैं मौजूद हानिकारक बैक्टिरिया और अन्य किटाणुओं को मारने के लिए जाना जाता है. यही नहीं अगरबत्ती के गंध में उपचारात्मक गुण भी होते हैं. आयुर्वेद में रोगी के कमरे में खास किस्म की अगबत्तियां जलाने की बात की जाती है. अगरबत्ती के सुगंध और धुंए में किटाणुनाशक गुण तो होते ही हैं, इसका धुंआ जब रोगी व्यक्ति सांस के साथ भीतर लेता है तो उसे अपने रोग से लड़ने में मदद मिलती है.


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प्रचीन चिकित्सा विज्ञान में अरोमाथैरपी को महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है. प्राचीन ग्रंथों के अनुसार चिकित्सीय पौधों का प्रयोग अगरबत्ती में किया जाता था. इन खास तरह की अगरबत्तियों का प्रयोग अनिंद्रा, कब्ज, अवसाद आदी रोगों के उपचार में किया जाता है. केशर, चंदन जैसे प्रकृतिक घटक रक्त संचार को बढ़ाने के साथ-साथ चर्म रोगों को ठीक करते हैं, दमें के उपचार में मददगार होते हैं तथा बुखार और सूजन को भी कम करते हैं.


अगरबत्ती के समान ही कपूर का भी प्रयोग धार्मिक उत्सवों और कर्मकांडों में किया जाता है. अध्यात्मिक साधना में भी कपूर का प्रयोग किया जाता है. कपूर दुनिया का एकमात्र ऐसा पदार्थ है जो पूरी तरह वाष्पित हो जाता है बिना कोई अवशेष छोड़े.



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कई अध्यात्मिक गुरू हर समय अपने पास कपूर रखते हैं जिससे उन्हें सकरात्मक उर्जा मिलती है और वे अपने अध्यात्मिक लक्ष्यों को ज्यादा आसानी से प्राप्त कर पाते हैं. इन गुणों के आलावा कपूर में भी अगरबत्ती के समान कई तरह के चिकित्सीय गुण होते हैं और उसका धुंआ वातावरण को शुद्ध बनाता है.


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