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रेगिस्तान की रेत में छिपा है पिरामिड का रहस्य

पिरामिडों से जुड़े इतिहास और संबंधित लोक कथाओं को जानने के लिए हर कोई उत्सुक रहता है. इन पिरामिडों और ममी से जुड़ा रहस्य जितना खतरनाक है उतना ही ज्यादा उत्साहित करने वाला भी है. दुनिया के 7 अजूबों में शामिल गीजा के पिरामिड के विषय में माना जाता है कि इसमें मिस्र के राजा तुतनखामुन फराओ की कब्र है. इतना ही नहीं अन्य पिरामिडों की तुलना में बेहद विशाल इस पिरामिड के पीछे एक डरावनी दंतकथा यह भी प्रचलित है कि इसमें आज भी फराओ की रूह घूमती है.



खैर यह तो बात हुई तुतनखामुन फराओ, उसकी कब्र और उसमें मंडराती फराओ की रूह की लेकिन अब जो बात हम आपको बताने जा रहे हैं वह इससे भी कही ज्यादा हैरान करने वाली है. अभी तक आप यही जानते थे कि गीजा के यह पिरामिड अन्य सभी की तुलना में सबसे बड़े हैं लेकिन अब अमेरिकी वैज्ञानिकों ने मिस्र के ही रेगिस्तान में उनसे भी कहीं ज्यादा बड़े पिरामिडों को ढूंढ़ने का दावा किया है.


बहुत कुछ छिपा है दिल्ली के दिल में


उल्लेखनीय है कि अमेरिका की भूगर्भ वैज्ञानिक एंजेलीना मिकोल ने कई बार पहले भी यह दावा किया था कि मिस्र में गीजा के पिरामिडों से बड़े पिरामिड भी मौजूद हैं लेकिन हर बार उनके इस दावे को खारिज कर दिया गया. इसीलिए इस बार उन्होंने पुख्ता सबूतों की सहायता से मिस्र के पिरामिडों की हकीकत को जाहिर करने का प्रयत्न किया है.


बर्फ में दबे कंकालों का रहस्य


इस बार एंजेलिना ने गूगल अर्थ पर जारी 34 नक्शों को आधार बनाकर यह बात साबित की है कि मिस्र में कई विशालकाय पिरामिड मौजूद हैं. गूगल अर्थ के अनुसार मिस्र के रेगिस्तान में बहने वाली नाइल नदी के किनारे से करीब 90 मील दूरी पर कई विशालकाय उभार देखे जा सकते हैं जिनकी ऊंचाई तेज हवाओं के साथ भी कभी कम नहीं हुई है. एंजेलिना का कहना है कि जाहिर है कि इस मिट्टी के नीचे कोई मजबूत वस्तु छिपी हुई है जिसकी वजह से रेगिस्तान की मिट्टी उड़ने की वजह से भी उस छिपे हुए पिरामिड की ऊंचाई कम नहीं होती.



इस अध्ययन को करने वाले वैज्ञानिकों का यह मानना है कि अबू सिधम शहर (मिस्र) से करीब 12 मील की दूरी पर 620 फीट चौड़ी एक तिकोनी आकृति है जिसका आकार गीजा के पिरामिड से भी तीन गुना ज्यादा बड़ा है. इस तीकोनी आकृति तीन पिरामिडों को दर्शाती है जिनका आकार क्रमश: 254 फीट, 330 फीट और 100 फीट है.


प्रकृति के इस सौंदर्य का विनाश निश्चित है


ओमान की सल्तनत के  पूर्व राजदूत मधेत कमाल एल कैदी के अनुसार उनके पास ऐसे दुर्लभ नक्शे हैं जिसे कभी किसी ने नहीं देखा है. मधेत की मानें तो शोधकर्ता मोहम्मद एलाई सोलमन इन टीलों की खुदाई करवा रहे थे. उन्हें लगा इन टीलों के पीछे ग्रेनाइट की ठोस चट्टाने हैं, इसीलिए खुदाई वहीं रोक दी गई थी. मेधत के अनुसार उनके पास कुछ ऐसे प्राचीन दस्तावेज भी हैं जो यह स्पष्ट करते हैं कि इनके टीलों के भीतर विशालकाय पिरामिड हैं.



अगर अमेरिकी अध्ययनकर्ताओं और मधेत एल कैदी की बात सच है तो इसका मतलब है कि जल्द ही हमें एक और अजूबे के होने का जिक्र सुनाई दे सकता है.


दहशत का सबब बनी मिस्र की ‘ममी’

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