बिहार की धरती ऐतिहासिक रूप से कितनी समृद्ध है यह कहने की जरूरत नहीं हैं जिसने महान मगध सम्राज्य का उत्थान और पतन देखा है. बौद्ध और जैन धर्म के विकास के लिए बिहार की आबो हवा से काफी उर्वरकता मिली है. इस धरती में ऐसे कई ऐतिहासिक राज आज भी छुपे हैं जिन्हें दुनिया अभी तक नहीं जान पाई है. ऐसा ही एक राज छुपा है सोनगढ़ गुफा में, जो बिहार के एक छोटे से शहर राजगीर में स्थित है.
नालंदा जिले में स्थित राजगीर शहर कई मायनों मे महत्वपूर्ण है.यह शहर प्राचीन समय मे मगध सम्राज्य की राजधानी था, यही पर भगवान बुद्ध ने मगध के सम्राट बिम्बिसार को धर्मोपदेश दिया था.यह शहर बुद्ध से जुड़े स्मारकों के लिए बेहद प्रसिद्ध है.
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यहां के सोन भंड़ार गुफ़ा के बारे मे किवदंतियां प्रचलित है. एक किंवदंती ये है कि इसमें बेशकीमती खजाना छुपा है, जिसे की आज तक कोइ खोज नही पाया बताया जाता है कि यह खजाना मौर्ये शासक बिम्बिसार का है, हालांकि कुछ लोग इसे पूर्व मगध सम्राट जरासंघ का भी बताते है लेकिन इस खजाने के बिम्बिसार के होने के प्रमाण ज्यादा हैं. इस गुफ़ा के पास एक जेल के अवशेष हैं जिसके बारे में यह विश्वास है कि बिम्बिसार को उनके पुत्र अजातशत्रु ने बंदी बना कर यहीं रखा था.
ऐसा कहा जाता है कि खजाने का प्रवेश द्वार पत्थर कि एक बहुत बडी चट्टान नुमा दरवाज़े से बन्द किया हुआ है जिसे आज तक कोई खोल नहीं पया है. गुफा मे प्रवेश करते ही 10.4 मीटर लम्बा, 5.2 मीटर चौड़ा तथा 1.5 मीटर ऊंचा एक कक्ष आता है जो इस खजाने की रक्षा करने वाले सैनिकों के लिए था इसी कमरे की पिछली दीवर से खजाने तक पहुंचने के लिए रास्ता खुलता है.
गुफा की एक दीवार पर शंख लिपि मे कुछ लिखा है, माना जाता है कि इसमें इस दरवाज़े को खोलने का तरीका लिखा है जिसे आजतक इसे कोई पढ़ नहीं पाया है.
अंग्रज़ों ने एक बार चट्टान से बने इस दरवाजे को तोप से उड़ाने कि कोशिश की थी पर कामयाब नही हो पाए. तोप के गोले का निशान आज भी चट्टान पर मौजुद है. सोन भंड़ार गुफा के पास ही ऐसी ही एक और गुफा है जो आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हो चुकी है और सामने का हिस्सा गिर चुका है. इस गुफा की दक्षिणी दीवार पर जैन तीर्थंकरों की मूर्तियां उकेरी गई है. दोनों ही गुफायें तीसरी और चौथी शताब्दी मे चट्टानों को काटकर बनाई गई हैं और इनके कमरे पॉलिश किये हुए हैं. पॉलिश की हुईं गुफायें भारत मे बहुत कम है इसलिए इन गुफाओं का महत्व और बढ़ जाता है.
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कुछ विद्वानो का यह भी मानना है कि खजाने तक पहुचने का रास्ता वैभवगिरी पर्वत सागर से होकर सप्तपर्णी गुफाओं तक जाता है, जो कि सोन भंडार गुफा के दूसरी तरफ़ तक पहुंचती है. सच्चाई चाहे जो भी हो यह गुफा आम पर्यटक, इतिहास और पुरातत्व के विशेषज्ञ सभी के लिए कौतहुल का विषय तो है ही.
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