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अजर-अमर होने का वरदान लिए मोक्ष के लिए भटक रहे हैं ये कलयुग के देवता

ईश्वर धरती पर अवतार लेकर हर युग में प्रकट हुए हैं. हर युग में दुष्टों का नाश करने और परोपकारी लोगों की सहायता करने के लिए कोई ना कोई दैवीय ताकत धरती पर आई है. सतयुग, द्वापर, त्रेता,तीनों ही युग में ईश्वर की अनुकंपा के प्रमाण मिलते रहे हैं लेकिन कलयुग में अभी तक किसी देव या देवी के अवतार लेने जैसी कोई बात सामने नहीं आई लेकिन शायद आपको पता नहीं है कि 7 ऐसे देवता हैं जो हर युग में मौजूद रहते हैं. यहां तक कि इस युग यानि कलयुग में भी वे उपस्थित हैं. चलिए आपको उन 7 धर्मात्माओं से परिचित करवाते हैं:



राजा बलि – सतयुग में भगवान वामन के अवतार के रूप में धरती पर आए राजा बलि ने देवताओं पर चढ़ाई कर इन्द्रलोक को अपने कब्जे में ले लिया था. राजा बलि अपने घमंड में चूर था और उसके इस घमंड को चकनाचूर करने के लिए एक ब्राह्मण का वेश धर भगवान धरती पर आए और उनसे तीन पग धरती दान में मांगी. बलि ने उन्हें कहा जहां इच्छा हो वहां तीन पैर रख दो तब भगवान ने विकराल रूप धरकर तीनों पांव में तीनों लोक माप कर बलि को पाताल वास के लिए भेज दिया.


king bali


कृपाचार्य: शरद्वान गौतम के पुत्र कृपाचार्य पुराणों में एक प्रसिद्ध शख्सियत के तौर पर जाने जाते हैं। कृपाचार्य अश्वत्थामा के मामा और कौरवों के कुलगुरु थे। एक बार जब महाराज शांतनु शिकार खेलने गए तो उन्हें वहां दो शिशु मिले, उन्होंने उन दोनों को पालने का निर्णय किया, उनके नाम कृपी और कृप रखा गया.



kripacharya


अर्जुन ने युधिष्ठिर का वध कर दिया होता तो महाभारत की कहानी कुछ और ही होती. पर क्यों नहीं किया था अर्जुन ने युधिष्ठिर का वध?



अश्वत्थामा: गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा के माथे पर अमरमणि विराजित थी लेकिन अर्जुन ने उनके माथे की यह अमरमणि निकाल ली थी. अश्वत्थामा ने ब्रह्मास्त्र का उपयोग किया था इसलिए भगवान कृष्ण ने उन्हें श्राप दिया था कि वह समय के अंत तक धरती पर जीवित रहेंगे. इसलिए माना जाता है कि वे आज भी जीवित हैं और मोक्ष पाने के लिए इधर-उधर भटक रहे हैं. उन्हें कुरुक्षेत्र और कभी मध्यप्रदेश में देखे जाने जैसी बात सामने आई है.


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ऋषि व्यास: महाभारत को शब्दों में पिरोने वाले महर्षि व्यास, ऋषि पराशर और सत्यवती के पुत्र थे. अपने सांवले रंग के कारण उन्हें ‘कृष्ण’ और यमुना के बीच स्थित एक द्वीप पर पैदा होने की वजह से ‘द्वैपायन’ के नाम से पहचाना गया. महर्षि व्यास की माता ने शांतनु से विवाह किया जिनसे उनके दो पुत्र हुए, बड़ा पुत्र चित्रांगद युद्ध में मारा गया और छोटा पुत्र विचित्रवीर्य संतानहीन मर गया.


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विभीषण: रावण को उसके किए पापों का फल देने के लिए उसके भाई विभीषण ने भगवान श्रीराम का साथ दिया और जीवनभर राम नाम का सुमिरन करते रहे.


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हनुमान: पवनपुत्र हनुमान को अमर रहने का वरदान प्राप्त है. सतयुग के हजारों वर्षों बाद वे महाभारत काल में भी अपनी उपस्थिति दर्ज करवाते हैं और वह आज भी मौजूद हैं.


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परशुराम: राम के युग के महान ऋषि परशुराम की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने प्रसन्न होकर फरसा दिया था जिसके बाद उनका नाम परशुराम पड़ गया. भगवान परशुराम का जन्म राम युग से बहुत पहले हुआ था लेकिन वह चिरंजीवी हैं. उन्होंने भगवान विष्णु के छठे अवतार के तौर पर अवतार धारण किया था.


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