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अंग्रेजों को चकमा देकर इस कार से निकले थे सुभाष चंद्र बोस, रखी है इस म्यूजियम में

‘तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा’. नेताजी सुभाष चंद्र बोस का बुलंद नारा आज भी आजाद भारत में याद किया जाता है.
नेताजी से जुड़ी हुई कई बातें आज भी लोगों के लिए रहस्य है. इन रहस्यों में सबसे पहला नाम आता है नेताजी की मौत का. जो आज भी दुनिया के लिए पहेली ही है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि नेताजी सुभाषचंद्र बोस से जुड़ी हुई एक ऐसी घटना है जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं.
दरअसल, नेताजी से जुड़ी एक कार की ऐसी कहानी सामने आई है, जिसके बारे में कहा जा रहा है कि नेताजी अंग्रेजों को चकमा देकर इस कार में भाग निकले थे.
बात 1941 की है. जब नेता जी सुभाष चंद्र बोस को कोलकाता के उनके घर में नजरबंद कर दिया गया था, तब वो अंग्रेजों की आंखों में धूल झोंककर जिस कार में बैठकर वहां से भागने में कामयाब हुए थे, उस कार की मरम्मत का बीड़ा जर्मनी की मशहूर कार निर्माता कंपनी ऑडी  ने उठाया है. ऑडी  कंपनी ने कोलकाता स्थित नेताजी रिसर्च ब्यूरो (एनआरबी) के साथ मिलकर इस कार को पूरी तरह से ठीक करने जिम्मेदारी ली है.
इस कार को फिलहाल कोलकाता में स्थित नेता जी के पैतृक आवास को ही म्यूजियम का रूप देकर ‘नेताजी रिसर्च ब्यूरो’ का नाम दिया गया है,  जहां नेताजी के दुर्लभ सामानों को सहेज कर रखा गया है. वैसे तो इस कार का मालिकाना हक ईस्ट इंडिया कंपनी के पास था. कंपनी ने कार को बरारी प्लांट में तैनात अशोक बोस को दी थी, जो नेताजी के चाचा थे. धनबाद आने पर नेताजी ही इस कार की सवारी किया करते थे.
आजादी के बाद इस कार की जानकारी ज्यादातर लोगों को नहीं थी, लेकिन कार से जुड़े हुए पुराने दस्तावेजों को देखकर सबसे पहले मालूम पड़ा कि ये वही कार है, जिसका इस्तेमाल नेताजी किया करते थे.

‘तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा’. नेताजी सुभाष चंद्र बोस का बुलंद नारा आज भी आजाद भारत में याद किया जाता है. नेताजी से जुड़ी हुई कई बातें आज भी लोगों के लिए रहस्य है. इन रहस्यों में सबसे पहला नाम आता है नेताजी की मौत का. जो आज भी दुनिया के लिए पहेली ही है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि नेताजी सुभाषचंद्र बोस से जुड़ी हुई एक ऐसी घटना है जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं.


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दरअसल, नेताजी से जुड़ी एक कार की ऐसी कहानी सामने आई है, जिसके बारे में कहा जा रहा है कि नेताजी अंग्रेजों को चकमा देकर इस कार में भाग निकले थे.  बात 1941 की है जब नेता जी सुभाष चंद्र बोस को कोलकाता के उनके घर में नजरबंद कर दिया गया था, तब वो अंग्रेजों की आंखों में धूल झोंककर जिस कार में बैठकर वहां से भागने में कामयाब हुए थे, उस कार की मरम्मत का बीड़ा जर्मनी की मशहूर कार निर्माता कंपनी ऑडी  ने उठाया है.


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ऑडी कंपनी ने कोलकाता स्थित नेताजी रिसर्च ब्यूरो (एनआरबी) के साथ मिलकर इस कार को पूरी तरह से ठीक करने जिम्मेदारी ली है.  इस कार को फिलहाल कोलकाता में स्थित नेता जी के पैतृक आवास को ही म्यूजियम का रूप देकर ‘नेताजी रिसर्च ब्यूरो’ का नाम दिया गया है,  जहां नेताजी के दुर्लभ सामानों को सहेज कर रखा गया है.


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वैसे तो इस कार का मालिकाना हक ईस्ट इंडिया कंपनी के पास था. कंपनी ने कार को बरारी प्लांट में तैनात अशोक बोस को दी थी, जो नेताजी के चाचा थे. धनबाद आने पर नेताजी ही इस कार की सवारी किया करते थे. आजादी के बाद इस कार की जानकारी ज्यादातर लोगों को नहीं थी, लेकिन कार से जुड़े हुए पुराने दस्तावेजों को देखकर सबसे पहले मालूम पड़ा कि ये वही कार है, जिसका इस्तेमाल नेताजी किया करते थे…Next


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