पढ़ो और पढ़कर फेल हो जाओ. फीस भरा, परीक्षा भी दी लेकिन कॉलेज में किसी का दाखिला नहीं होगा. ऐसे स्कूल और कॉलेज के बारे में शायद आपने कभी देखा और सुना नहीं होगा जहां कोई भी बच्चा पास नहीं होता, जहां परीक्षा के लिए बड़ी फीस भरते तो हैं पर कॉलेज किसी भी बच्चे को दाखिला नहीं देता. आप कहेंगे कि ऐसे कॉलेज का फायदा ही क्या? अच्छा है न ही हो. लेकिन कॉलेज तो कॉलेज है जनाब! कोई ऐसा-वैसा नहीं, ऐसा कॉलेज जहां पढ़ने के लिए मारा-मारी होती है. मुश्किल यह है कि दाखिला ही न मिले तो आप पढेंगे कैसे? सबसे बड़ा सवाल तो कि बिना विद्यार्थी के यह कॉलेज इतना प्रतिष्ठित कैसे बन गया? क्या विद्यार्थियों को फेल कर ही यह कॉलेज प्रसिद्ध हो गया?
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हैरानी की बात तो है लेकिन यह कॉलेज खुद भी हैरान है. दरअसल किसी भी विद्यार्थी को पास न करना और दाखिला न देना कॉलेज की मजबूरी बन गई. यह वाकया है अफ्रीका का. अफ्रीका के प्रतिष्ठित लाइबीरिया विश्वविद्यालय ने कभी सोचा भी नहीं होगा कि ऐसा भी दिन आएगा जब उसके पास एडमिशन के लिए बच्चे नहीं होंगे. विश्वविद्यालय को यह दिन इसलिए देखना पड़ रहा है क्योंकि इसमें प्रवेश के लिए ली गई परीक्षा में सभी 25000 परीक्षार्थी फेल हो गए हैं. 1862 में स्थापित हुआ यह विश्वविद्यालय आज अफ्रीका का सबसे प्रतिष्ठित और पुराना विश्वविद्यालय माना जता है. कॉलेज का कहना है कि सभी विद्यार्थी अंग्रेजी भाषा की समझ न होने के कारण पास नहीं हो सके. गौरतलब है कि 1990 में अफ्रीका में गृहयुद्ध की स्थिति थी और आज भी यहां लोग उसके प्रभाव से बाहर नहीं आ पाए हैं. इसका असर शिक्षा पर बहुत ज्यादा पड़ा. सरकारी स्तर पर भी शिक्षा स्तर के सतही होने और इसमें सुधार की बार कही गई थी लेकिन टेस्ट में सभी 25 हजार परीक्षार्थियों के फेल हो जाने से सभी स्तब्ध हैं. राष्ट्रपति ने विश्वविद्यालय प्रशासन से 1800 विद्यार्थियों को ड्रा के आधार पर दाखिला देने की अनुशंसा की है.
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