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Places of Worship in Delhi – दिल्ली के प्रमुख पूजा स्थल

जहां एक ओर दिल्ली कई ऐतिहासिक और राजनैतिक इमारतों की गढ़ है, वहीं यहां कुछ बहुत महत्वपूर्ण और बेहद लुभावने पूजा स्थल भी हैं. समय-समय पर यहां लगभग सभी धर्मों और साम्राज्यों के शासकों ने ना सिर्फ शासन संभाला बल्कि अपने धार्मिक स्थलों का भी निर्माण करवाया. यह धार्मिक स्थल जितना आध्यात्मिक महत्व रखते हैं उनकी संरचना और कारीगरी भी उतनी ही आकर्षित करती है.


fatehpuri masjidफतेहपुरी मस्जिद – दिल्ली के चांदनी चौक या पुराने शाहजहांनाबाद में स्थित इस मस्जिद का निर्माण मुगल बादशाह शाहजहां की पत्नी फतेहपुरी बेगम ने 1650 में करवाया था. उन्हीं के नाम पर इसका नाम फतेहपुरी मस्जिद पड़ा. लाल पत्थरों से बनी यह मस्जिद मुगल कारीगरी का एक बहुत शानदार नमूना है. इस मस्जिद में एक कुंड भी है जो सफेद संगमरमर से बना है. अंग्रेज शासकों ने इस मस्जिद को 1857 के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के बाद नीलाम कर दिया था. नीलामी में इस मस्जिद को राय लाला चुन्ना मल ने मात्र 19,000 रुपए में खरीद लिया था. जिन्होंने इस मस्जिद को संभाले रखा था. बाद में 1877 में सरकार ने इसे चार गांवों के बदले में वापस अधिकृत कर मुसलमानों को दे दिया.


kuwwat-ul-islam masjidकुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद – इस मस्जिद का निर्माण कुतुबुद्दीन ऐबक ने 1192 में शुरू करवाया था. इसे बनने में चार वर्ष का समय लगा था. कुतुबुद्दीन ऐबक के बाद के शासकों जैसे अल्तमश (1230) और अलाउद्दीन खिलजी (1351) ने इसमें कुछ और हिस्से जोड़े. यह मस्जिद हिंदू और मुसलमान कला का एक बेहतरीन नमूना है. एक ओर इसकी छत और स्तंभ भारतीय मंदिर शैली की याद दिलाते हैं, वहीं दूसरी ओर इसके बुर्ज इस्लामिक शैली में बने हुए हैं.


khirki masjidखिड़की मस्जिद – इस दो मंजिला मस्जिद का निर्माण 1380 में फिरोज शाह तुगलक के प्रधानमंत्री खान-ए-जहान जुनैन शाह द्वारा करवाया गया था. मस्जिद के अंदर बनी खूबसूरत खिड़कियों के कारण इसे खिड़की मस्जिद कहा जाने लगा. मस्जिद के चारों कोनों पर बुर्ज बने हैं जो इसे किले का रूप देते हैं. पहले पूर्वी द्वार से प्रवेश किया जाता था लेकिन अब दक्षिण द्वार पर्यटकों और श्रद्धालुओं के लिए खुला रहता है.


bangla sahibगुरुद्वारा बंगला साहिब – सिखों के आठवें धर्म गुरू हरकिशन साहिब को समर्पित यह गुरूद्वारा सिख धर्म के अनुयायियों का प्रमुख धार्मिक स्थल है. मौलिक रूप से यह गुरूद्वारा एक हवेली है जहां गुरू हर किशन 1664 में अपनी दिल्ली यात्रा के दौरान रुके थे. माना जाता है कि उनके दिल्ली रहने के दौरान यहां महामारी फैल गई थी. उस समय गुरू हर किशन ने बिना किसी भेदभाव के गरीब और असहाय लोगों की सेवा की. महावारी से जूझते हुए उनकी मृत्यु बहुत छोटी उम्र में हो गई थी. गुरूद्वारा के परिसर में एक माध्यमिक स्कूल, संग्रहालय, किताबों की दुकान, पुस्तकालय, अस्पताल और एक पवित्र तालाब भी है. आज यह ना सिर्फ एक धार्मिक स्थल के रूप में जाना जाता है बल्कि देश-विदेश से आए पर्यटकों को भी यह स्थान बहुत पसंद आता है.


digambar jain mandirदिगंबर जैन मंदिरदिल्ली के सबसे पुराने जैन मंदिर का निर्माण 1526 में हुआ था. यह चांदनी चौक में स्थित है. यह लाल पत्थरों से बना है, इसलिए यह लाल मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. यहां जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ की प्रतिमा भी स्थापित है. जैन धर्म के अनुयायियों के लिए यह स्थान आध्यात्मिक रूप में बहुत महत्व रखता है.



chhattarpur delhiछतरपुर मंदिर – दिल्ली के सबसे बड़े और आलीशान मंदिरों में से एक छतरपुर मंदिर गुड़गांव-महरौली रोड पर स्थित है. यह सफेद संगमरमर से बना हुआ है और इसकी सजावट बेहद आकर्षक है. दक्षिण भारतीय शैली में बना यह मंदिर विशाल क्षेत्र में फैला है. मंदिर परिसर में बहुत खूबसूरत बागीचे भी हैं. मूल रूप से यह मंदिर देवी दुर्गा को समर्पित है. इसके अलावा यहां भगवान शिव, विष्णु, देवी लक्ष्मी, हनुमान, भगवान गणेश और राम आदि देवी-देवताओं के मंदिर भी हैं. दुर्गा पूजा और नवरात्रि के अवसर पर पूरे देश से यहां भक्त एकत्र होते हैं. यहां एक पेड़ है जहां श्रद्धालु धागे और रंग-बिरंगी चूड़ियां बांधते हैं.


lotus templeबहाई मंदिर – लोटस टेंपल या बहाई मंदिर कालकाजी मंदिर के पीछे स्थित है. यह मंदिर एशिया महाद्वीप में बना एकमात्र बहाई प्रार्थना केंद्र है. यह अद्वितीय वास्तु शिल्प के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध हैं. 26 एकड़ में फैले इस मंदिर का निर्माण 1980 से 1986 के बीच हुआ था. इसे बनाने में कुल 10 मिलियन रुपये की लागत आई थी. श्रद्धालुओं के लिए इसे दिसंबर 1986 में खोला गया था. कमल भारत की सर्वधर्म समभाव की संस्कृति को दर्शाता है. मंदिर में एक प्रार्थना हॉल है जिसमें कोई मूर्ति नहीं है. किसी भी धर्म के अनुयायी यहां आकर ईश्वर का ध्यान कर सकते हैं.

birla mandirलक्ष्मीनारायणमंदिर – बिड़ला मंदिर नाम से मशहूर यह मंदिर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी को समर्पित है. यह दिल्ली के प्रमुख मंदिरों में से एक है. 1938 में निर्मित हुए इस मंदिर का उद्घाटन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने किया था.  बिड़ला मंदिर अपने यहां मनाई जाने वाली जन्माष्टमी के लिए भी दुनिया भर में प्रसिद्ध है. वास्तुशिल्प की बात की जाए तो यह मंदिर उड़िया शैली में निर्मित है. मंदिर का बाहरी हिस्सा सफेद संगमरमर और लाल बलुआ पत्थर से बना है जो मुगल शैली की याद दिलाता है.


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