जन समस्याओं और अनेक कारणों से भारत में आये दिन विरोध प्रदर्शन और आंदोलन होते रहते हैं. यह कारण कभी प्रजातान्त्रिक होते हैं, तो कभी जन समुदाय से सम्बंधित होते हैं, जो देश में बेवजह अशांति और अराजकता को उत्पन्न करते हैं. इस प्रकार के धरनों के दौरान एकत्रित भीड़ पर काबू पाने के लिए हमारे देश की पुलिस को अथक प्रयास करने पड़ते हैं. उग्र भीड़ को नियंत्रण में करने के लिए उत्तरी भारत की पुलिस ने अत्याधुनिक शस्त्रों को छोड़कर पुराने जमाने की गुलेल और मिर्ची से बनी गेंदों का प्रयोग शुरू दिया है.
हरियाणा के हिसार जिले के अधीक्षक श्री अनिल कुमार राओ के अनुसार -” अश्रु गैस ,प्लास्टिक बुलेट और लाठीचार्जों की तुलना में यह साधन अधिक बेहतर है जिससे पब्लिक को कम से कम नुकसान हो “. गुलेल और चिली बॉल्स के सटीक प्रयोग की जो ट्रेनिंग पुलिस फोर्स को प्रदान की जा रही है वह उग्र भीड़ को धकेलने का अच्छा विकल्प है.
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चिली बॉल्स के प्रभावशाली साबित न होने की दशा में, गुलेल के साथ मार्बल्स का प्रयोग भी किया जा सकता है, जो नागरिकों को अधिक चोट पहुँचा सकते हैं. जिंद जिले के पुलिस प्रमुख कहते हैं कि – आँसू गैस और गुलेल का प्रयोग प्राथमिक है, बन्दूक और गोलियां तो अंतिम ऑप्शन है. हम शांत प्रदर्शनकारियों पर इसका प्रयोग नहीं करेंगे बल्कि सार्वजनिक स्थलों पर तोड़फोड़ कर जन – धन को हानि पहुंचाने वाले लोगों के विरोध में हम इस “गुलेल और चिली बॉल्स “प्रक्रिया को अपनायेंगे.
बन्दूक और गोलियाँ जो अधिक हानि का कारण होती हैं , उनकी अपेक्षाकृत गुलेल और चिली बॉल्स बहुत सस्ते और बेहतर हथियार साबित होंगे. निश्चित तौर पर पुलिस ने एक नायाब तरीका खोज निकाला है, जिसके द्धारा भीड़ को बिना नुकसान पहुँचाये नियंत्रित किया जा सकेगा…Next
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