पीपलंत्री गांव में गांव में किसी बच्ची के जन्म पर 111 वृक्ष लगाए जाने की परंपरा है.
हर साल गांव में औसतन 60 लड़कियां जन्म लेती हैं और इस तरह अबतक गांव में 2,50,000 वृक्ष लगाए जा चुके हैं. 8,000 जनसंख्या वाले इस समुदाय ने गांव में नीम, आम, शीशम सहित कई अन्य तरह के पेड लगाए हैं. यहां के निवासी न सिर्फ पेड लगाते हैं बल्कि यह भी सुनिश्चित करते हैं कि लड़की के बढ़ने के साथ, वृक्ष भी बढ़ें और फूले-फलें.
Read: पेड़ पर ही लटकती रहती है उसकी लाश
यह सुंदर परंपरा गांव के पूर्व सरपंच श्याम सुंदर पलीवील ने अपनी स्वर्गीय बेटी किरन की याद में शुरु की थी. किरन की कुछ सालों पहले मृत्यु हो गई थी. वृक्ष लगाने के साथ गांव की एक कमेटी उन परिवारों की भी पहचान करती है जो कन्या के जन्म के प्रति नकरात्मक रवैया रखते हैं. ऐसे परिवारों के लिए गांव के अन्य निवासियों से 21,000 रुपए और लड़की के पिता से 10,000 रुपए लेकर, लड़की के नाम पर इस रकम को 20 सालों के लिए सरकारी बॉन्ड में निवेश कर दिया जाता है. यह पैसा लड़की की आर्थिक सुरक्षा सुनश्चित करने के लिए जमा करवाया जाता है.
श्याम सुंदर पलीवाल का कहना है कि, “हम लड़की के माता पिता से एक एफीडेविट पर हस्ताक्षर करवाते हैं कि वे वैधानिक उम्र से पहले अपनी लड़की की शादी नहीं करेंगे. साथ ही उनसे यह भी वादा करवाया जाता है कि वे नियमित रूप से अपनी बेटी को स्कूल भेजेंगे और उसके नाम से रोपे हुए वृक्षों की देखरेख करेंगे.”
पेंड़ों को दीमकों से बचाने के लिए पीपलंत्री के निवासियों ने 25 लाख से ऊपर घृतकुमारी (एलॉय वेरा) के पौधे भी लगाए हैं. अब यह पेंड़ और इनके इर्द-गिर्द लगाए गए घृतकुमारी के पौधे, गांव वालों की आजीविका के प्रमुख स्रोत बन चुके हैं.
पलीवल के अनुसार, “हमने यह महसूस किया कि घृतकुमारी को प्रसंस्कृत करके बाजार में कई तरह से बेचा जा सकता है. हमने कुछ विशेषज्ञों को बुलाया और उनसे गांव की औरतों को प्रशिक्षित करने के लिए कहा. अब गांव के लोग घृतकुमारी के तरह-तरह के उत्पाद जैसे जेल, आचार, इत्यादी बाजार में बेचते हैं.”
Read: क्या ख्याल है आपका पेड़ पर उगने वाली इन वेजिटेरियन बकरियों के बारे में
पीपलंत्री ग्राम के निवासियों ने जीवन की उच्च भावना विकसित कर ली है. इस गांव की अपनी एक वेबसाइट है, गांव के लिए लिखा गया स्टुडियों में रिकॉर्ड हुआ एक समूहगान भी है. इस गांव में शराब पर पूर्ण प्रतिबंध है. खुले में जानवरों का चरना और पेड़ काटना भा गांव में प्रतिबंधित है. Next…
Read more:
Read Comments