भारत की भूमि अपने वीर सपुत्र की कहानियों से भरी पड़ी है. इन वीरों ने अपनी मातृभूमि की रक्षा और स्वाभिमान के लिए जान की बाजी तक लगाई है. आज भारत के एक ऐसे सपूत को जानेंगेे जिसने मुग़ल शासक अकबर के नाक में दम कर दिया था. जिनके प्रताप और शौर्य से अकबर के रातों की नींद उड़ गई थी. इस वीर की वीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इनकी मृत्यु के बाद सबसे बड़े दुश्मन बादशाह अकबर को रोने पर मजबूर कर दिया. वर्तमान इस महावीर की वीरगाथा हमेशा दुहराती है.
इस परमवीर को लोग महाराणा प्रताप के नाम से जानते हैं. 1576 में हल्दीघाटी में महाराणा प्रताप और अकबर के बीच एक ऐसा युद्ध हुआ, जो इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए अमर हो गया है. महाराणा प्रताप ने अपने 20000 सैनिकों के साथ मुगल बादशाह अकबर की 85000 सैनिकों वाली विशाल सेना का सामना किया. मुग़ल के विशाल सेना ने 30 वर्षों तक लगातार युद्ध किया परन्तु महाराणा प्रताप को परस्त न कर सका.
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हल्दीघाटी का युद्ध याद अकबर को जब आ जाता था ,
कहते है अकबर महलों में, सोते-सोते जग जाता था!
प्रताप की युद्ध नीति के दुश्मन भी कायल होते थे. कहा जाता है कि महाराणा प्रताप की मृत्यु पर अकबर की आंखें भी नम हो गई थी. प्रताप युद्ध भूमि से लेकर नैतिकता के धरातल पर भी सबसे अव्वल थे. उन्होंने युद्ध के दौरान दूसरों की पकड़ी गई बेगमों को सम्मानपूर्वक उनके पास वापस भेज दिया था.
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प्रताप का चेतक
महाराणा प्रताप का घोड़ा उनका सबसे अच्छा साथी था. युद्ध के दौरान उनका अंतिम समय तक साथ दिया. प्यार से उस घोड़े को सब चेतक कहते थे. एक बार युद्ध भूमि में मुगल सेना महाराणा प्रताप के पीछे लगी थी, तब चेतक प्रताप को अपनी पीठ पर लिए 26 फीट के उस नाले को लांघ गया, जिसे मुगल पार न कर सके.
कहा जाता है कि महाराणा प्रताप का भाला 81 किलो वजन का था और उनके छाती की कवच 72 किलो का था. खुद महाराणा प्रताप का वजन 110 किलो और लम्बाई 7 फीट 5 इंच थी.Next…
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