ये बात तो सभी जानते हैं कि इंसानी जीवन के विकास के डोर उसके पूर्वजों, यानि बंदर से जुड़ी हुई है. वैज्ञानिक भी इस बात को कबूल कर चुके हैं कि आज का मनुष्य पहले बंदर की तरह दिखता और दो पैरों पर नहीं बल्कि अपने दोनों हाथ और दोनों पैरों की सहायता से चलता था. इंसान पहले बंदर था, निरंतर चलने वाली विकास की बयार ने जिसे मानव बना दिया. लेकिन आज जो तस्वीरें हम आपको दिखाने जा रहे हैं वो ये साफ दिखाती हैं कि जहां पहले इंसान बंदर हुआ करता था वहीं आज एक बंदर ऐसा भी है जिसने इंसान की फितरत अपना ली है. अरे नहीं, नहीं वो सेल्फिश या अत्याचारी नहीं बल्कि उसने अपने रहने और खाने-पीने ढंग को मानव जैसा बना लिया है:
पेशे से रिक्शा पर सामान ढोने वाले राजेन्द्र शुक्ला का जीवन तो सामान्य है लेकिन उनके पास एक असामान्य साथी है जो हमेशा उनके साथ रहता है. यह साथी है उनका प्यारा बंदर
दोनों साथ काम पर जाते हैं और जब आराम का टाइम आता है तो दोनों आराम भी साथ में ही करते हैं.
कड़ी धूप और गर्मी का मौसम है, थकावट तो हो ही जाती है. प्यास लगती है तो राजेन्द्र अपने प्यारे दोस्त को अपने हाथों से पानी भी पिलाते हैं.
भूख लगे तो बिस्किट भी उसके लिए रखते हैं.
जब पानी और बिस्किट से उनका दोस्त बोर हो जाता है तो उसके लिए जूस का इंतजाम किया जाता है.
राजेन्द्र शुक्ला के इस प्यारे से दोस्त को गली-मोहल्ले के बच्चे बहुत पसंद करते हैं
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