आज हम खुद को आजाद कहते हैं लेकिन जरा दिमाग पर जोर देकर सोचिए, क्या हम वाकई आजाद हैंं. बहरहाल इतिहास के पन्नों को उलटकर देखें तो भारत की गुलामी की एक नई कहानी निकलकर आती है जिसमें देश के दिग्गज शासकों और नवाबों ने अपने निजी स्वार्थों के चलते देश को धोखा दिया था, जिस वजह से देश को दशकों तक गुलामी की जंजीरों में रहना पड़ा और पिछड़ गया.
राजा जयचंद
अपनी निजी दुश्मनी के चलते राजा जयचंद ने पृथ्वीराज सिंह चौहान को मारने से भी गुरेज नहीं किया. जयचंद कन्नौज के राजा थे और दिल्ली के शासक पृथ्वीराज सिंह चौहान की बढ़ती प्रसिद्धि से काफी परेशान थे. इसके अलावा उनके पास पृथ्वीराज सिंह चौहान से नफरत करने की एक ओर वजह थी. उनकी बेटी संयोगिता और पृथ्वीराज दोनों एक-दूसरे से बहुत प्यार करते थे. जयचंद ने पृथ्वीराज को सबक सिखाने के लिए विदेशी आक्रमणकारी मुहम्मद गौरी से हाथ मिला लिया. जिसका नतीजा ये निकला कि तराइन के प्रथम युद्ध 1191 में बुरी तरह हारने के बाद मुहम्मद गौरी ने जयचंद की शह पर दोबारा 1192 में पृथ्वीराज सिंह चौहान को हराने और उन्हें मारने में सफल रहा.
भारत का पहला मिसाइलमैन पहनता था, नाम की अंगूठी !
राजा मानसिंह
मानसिंह मुगलों के सेना प्रमुख थे. राजा मान सिंह आमेर के कच्छवाहा राजपूत थे. महाराणा प्रताप और मुगलों की सेना के बीच लड़े गए भयावह और खूनी जंग (1576 हल्दी घाटी) में वे मुगल सेना के सेनापति थे. इस युद्ध में महाराणा प्रताप वीरतापूर्वक लड़ते हुए बुरी तरह घायल हो जाने के पश्चात् जंगलों की ओर भाग गए थे और जंगल में ही रहकर और मुगलों से बच-बचकर ही उन्हें पराजित करने और उनका राज्य वापस लेने के लिए संघर्ष कर रहे थे. लेकिन मानसिंह ने बड़ी चतुराई से उनका खात्मा करवाने में अहम भूमिका अदा की.
मीर जाफर
आधुनिक युग में लोग भले ही मीर जाफर को भूल चुके हैं लेकिन मीर जाफर नाम कभी किसी इंसान के लिए गद्दारी का पयार्य हुआ करता था. मीर जाफर बंगाल का पहला नवाब था जिसने बंगाल पर शासन करने के लिए हर तरह के हथकंड़े अपनाए थे. उसके राज को भारत में ब्रिटिश साम्राज्यवाद की शुरुआत माना जाता है. 1757 के प्लासी युद्ध में सिराज-उद-दौल्ला को हराने के लिए उसने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी का सहारा लिया था. उसने विदेशी ताकतों को अपनी तरफ मिला लिया था. अपने निजी स्वार्थों के चलते जाफर ने देश को बहुत नुकसान पहुंचाया था.
100 करोड़ की दौलत, 86 बेगम और 400 वारिस लेकिन आज अलग है ये शाही कहानियां
मीर कासिम
मीर कासिम सन् 1760 से 1763 के बीच अंग्रेजों की मदद से बंगाल का नवाब नियुक्त हुआ था. अपने अहंकार की लड़ाई में मीर कासिम ने देश का खासा नुकसान करवाया. इस पूरी लड़ाई में अगर किसी ने कुछ या सबकुछ खोया है तो वह हमारा भारतवर्ष ही है. मीर कासिम ने अंग्रेजों से बगावत करके 1764 में बक्सर का युद्ध लड़ा था, लेकिन ये लड़ाई सकारात्मक सिद्ध नहीं हो सकी और देश गुलामी की जंजीरों में जकड़ता चला गया.
मीर सादिक
आपको याद होगा कि बचपन में हम टीपू सुल्तान को अपना नायक माना करते थे. जिन्होंने विदेशी ताकतों के नाक में दम कर रखा था, लेकिन वो कहते हैं न कि ‘जो कभी किसी से न हारा वो अपनों से हारा. मीर सादिक टीपू सुल्तान के खास मंत्री थे लेकिन 1799 में टीपू सुल्तान को धोखा देकर अंग्रेजोंं का हाथ थाम लिया. इसके कारण अंग्रेज टीपू सुल्तान के किले पर कब्जा करने और टीपू सुल्तान को मारने में सफल रहे.
इन पांच लोगों के चलते देश धीरे-धीरे गुलामी की ओर बढ़ता रहा. अगर उस वक्त इन शासकों ने अपने निजी स्वार्थों को त्याग दिया होता तो देश न सिर्फ गुलामी की जंजीरों में कभी नहीं फंसता बल्कि आज महाशक्ति के रूप में विदेशी ताकतों से कहीं आगे होता…Next
Read more
ये हैं क्रिकेट इतिहास के 7 फ्लॉप नियम
अपनी खूबसूरती और सौंदर्य से मोहित करने वाली ये हैं इतिहास की पांच भारतीय महारानी
Read Comments