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कमाल कर दिया भारत ने विज्ञान के क्षेत्र में


भारत ने बीते कुछ सालों में अपने तकनीकी कौशल की वजह से पुरे विश्व में नाम कमाया है. विश्व मंच पर भारत ने अपनी दावेदारी को मजबूत किया है. उपलब्धियों से भारत ने विश्व के प्रमुख देशों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है. शिक्षा, स्वास्थ्य, विज्ञान और तकनीक जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण उपलब्धियों को हासिल किया है. यूं तो विज्ञान के क्षेत्र में भारत की उपलब्धि थोड़ी धीमी रही है पर बीते कुछ सालों में भारत ने ऐसा कर दिखाया जो बाकि के राष्टों के लिए आश्चर्य का विषय है. आइये जानते हैं विज्ञान के क्षेत्र में भारत का अभूतपूर्व उपलब्धियों को….



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मंगलयान – भारतीय मंगलयान का अपने प्रथम प्रयास में ही मंगल ग्रह की कक्षा में प्रवेश करना भारत की सबसे बड़ी उपलब्धी कहा जा सकता है. भारत ने जैसे ही इस उपलब्धि को हासिल किया वैसे ही अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में भारत की चर्चा होने लगी. पहले ही प्रयास में सफल रहने वाला भारत दुनिया का पहला देश बन गया है. दुनिया के प्रमुख विकसित राष्ट्र जैसे अमरीका, रूस और यूरोपीय स्पेस एजेंसियों को कई प्रयासों के बाद मंगल ग्रह पहुंचने में सफलता मिली थी.


व्हीट जीनोम सीक्वेंस – कई सालों से दुनिया के वैज्ञानिक जीनोम को सीक्वेंस करने में लगे हुए थे पर सफलता नहीं मिल रही थी. भारत ने पिछले साल अपने वैज्ञानिकों के साथ विदेशी वैज्ञानिकों की मदद से दिल्ली और लुधियाना की लैबॉरेट्री में गेहूं के जीनोम को सीक्वेंस करने में कामयाबी हासिल की थी. इस सफलता से भारत को अपनी खाद्य सुरक्षा की जरूरतों को पूरा करने में मदद मिलेगी.


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जीएसएलवी मार्क 2 – भारत ने पिछले साल जीएसएलवी मार्क 2 का सफल प्रक्षेपण किया. इसमें पहली बार स्वदेश निर्मित क्रायोजेनिक इंजन लगाया गया. भारत के लिए यह बहुत बड़ी कामयाबी थी. जीएसएलवी मार्क 2 के सफल प्रक्षेपण के बाद भारत को अपनी सैटेलाइट लॉन्च करने के लिए दूसरे देशों पर निर्भर नहीं रहना होगा.



nuclear energy



परमाणु क्षेत्र में उपलब्धियां – राजस्थान परमाणु बिजली स्टेशन की यूनिट 5 ने एक कीर्तिमान अपने नाम किया है. इस परमाणु बिजली स्टेशन ने 765 दिन लगातार संचालन करके दुनिया में सबसे ज्यादा संचालित दूसरा रिएक्टर होने का रिकॉर्ड कायम कर दिया. इस उपलब्धि के अलावा भारत ने खुद की बनाई हुई परमाणु पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत को हार्बर ट्रायल पर भेजा था.


जीएसएलवी मार्क 3भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अपने अब तक के सबसे भारी रॉकेट जीएसएलवी-एमके 3 का सफल प्रक्षेपण किया. इसरॉकेट का वजन 630 टन था. रॉकेट जीएसएलवी-एमके 3 की सबसे खास बात यह है कि इसमें एक क्रू मॉड्यूल भी लगाया गया. इस सफलता के बाद भारत अब अपने ऐस्ट्रॉनॉट्स को अंतरिक्ष में भेज पाएगा. Next…


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